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आवश्यकता है कि लोग अपना भौतिकताप्रधान दृष्टिकोण बदलें, उसे अध्यात्मप्रधान बनाएं, आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति निष्ठा जगाएं, अर्थ को जीवनयापन का साधन मानें, उसे साध्य के स्थान पर प्रतिष्ठित न करें, बड़प्पन का मापक न समझें। उसे चरित्र, नैतिकता और सत्य से नीचा समझें, ऊपर नहीं।
अणुव्रत आंदोलन की कार्यदिशा
अणुव्रत आंदोलन इसी विचार - भित्ति पर खड़ा है। यह समाज के सभी वर्गों को नैतिक एवं चरित्रनिष्ठ बनाने के लिए प्रयत्नशील है । इसकी आचार-संहिता स्वीकार कर कर्मचारी अपने कार्य में प्रामाणिकता लाएं, व्यापारी ईमानदार बनें। वे व्यापार को शोषण और लूट का साधन न बनाएं। उसे विनिमय का साधन समझें। राजनीतिक लोग भ्रष्टाचार न करने के लिए संकल्पित बनें।
आज लोगों की कैसी मनोवृत्ति बनी है कि वे दूसरों का सुधार तो बहुत चाहते हैं, पर स्वयं सुधरना नहीं चाहते ! ऐसे में अणुव्रत आंदोलन की यह विशिष्टता है कि वह जन-जन को स्वयं के सुधार की प्रेरणा देता है, स्वयं से शुभ शुरुआत करने के लिए अभिप्रेरित करता है। मैं चाहता हूं, आप अणुव्रत आंदोलन का पवित्र उद्देश्य समझें और उसके छोटे-छोटे संकल्प स्वीकार कर अपना जीवन नैतिकता एवं सच्चरित्र के सांचे में ढालें। यह न केवल आपके अपने जीवन के लिए ही वरदायी सिद्ध होगा, अपितु राष्ट्र के नैतिक एवं चारित्रिक जागरण की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो सकेगा ।
काशीपुर क्लब
कलकत्ता
४ मई १९५९
अणुव्रत आंदोलन आत्म-सुधार का आंदोलन है
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