________________
में यह मौलिक परिवर्तन लाना होगा। दूसरे शब्दों में धर्म को सर्वोच्च प्रतिष्ठा देनी होगी। उसे जन-जन के व्यवहार के साथ जोड़ना होगा। विद्यार्थियों की जीवन दिशा
अणुव्रत-आंदोलन इसी दिशा में कार्य कर रहा है। वह व्यापारी, राज्यकर्मचारी, मजदूर, वकील आदि समाज के विभिन्न वर्गों में विभिन्न दुष्प्रवृत्तियों के रूप में व्याप्त असदाचार मिटाकर सदाचार और नैतिकता का वातावरण बनाना चाहता है। विद्यार्थी-वर्ग भी दुष्प्रवृत्तियों से अछूता नहीं है। छात्र-छात्राओं के जीवन में व्याप्त दुष्प्रवृत्तियां दूर कर वह उनका जीवन अनुशासन, विनय, नम्रता, सादगी, सत्यनिष्ठा आदि गुणों से भावित करना चाहता है। मैं समझता हूं, ये ही वे गुण हैं, जिनसे जीवन का सही निर्माण होता है। इसलिए अणुव्रत के संकल्प स्वीकार करनेवाले एक विद्यार्थी का ध्येय मात्र परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाना नहीं होगा। वह तो जीवन-निर्माण को लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ेगा, जो कि विद्याध्ययन का भी मूलभूत उद्देश्य है। कहने का तात्पर्य यह कि अणुव्रती बनकर विद्यार्थी अपने इस जीवन की सही सार्थकता प्राप्त कर सकते हैं।
उपस्थित छात्राओं से एक बात विशेष रूप से कहना चाहता हूं। वे भावी माताएं हैं, समाज की वास्तविक निर्मात्रियां हैं। उन्हें अपने जीवन-निर्माण पर गंभीरता से ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उनके समक्ष सीता-जैसी सन्नारियों के उज्ज्वल चरित्र का आदर्श है। उन्हें भी इस दिशा में प्रयाण करना है। अणुव्रत-पथ अपनाकर वे निर्बाध गति से इस आदर्श तक पहुंच सकती हैं।
आशुतोष महिला कॉलेज, कलकत्ता ६ अप्रैल १९५९
छात्राएं समाज की भावी निर्मात्रियां हैं
--१३५.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org