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साधन है। वास्तविक ज्ञान वह है, जो आचारसंवलित हो। जब तक पढ़ी हुई बातें आचार-संवलित नहीं होतीं, तब तक उनकी सार्थकता प्रकट नहीं होती। आज यह दृष्टि गौण हो रही है। इसलिए सदाचार मिटता जा रहा है, मानवता लुप्त होती जा रही है। मैं मानता हूं, राष्ट्र की यह सबसे बड़ी हानि है। इसके कारण राष्ट्र-विकास के उद्देश्य से चलाई जा रही विभिन्न आर्थिक, औद्योगिक योजनाओं का अभीप्सित परिणाम नहीं आ रहा है। आप निश्चित समझें, जब तक सदाचार और मानवता का ह्रास नहीं रोका जाएगा, इनकी सुरक्षा और निर्माण की दिशा में प्रयत्न नहीं होगा, तब तक भले दूसरी-दूसरी कितनी ही योजनाएं क्यों न चला ली जाएं, राष्ट्र का समुचित विकास नहीं हो सकता। अणुव्रत-आंदोलन सदाचार के ह्रास पर रोक लगाने का आंदोलन है, मानवता की प्रतिष्ठा का आंदोलन है। अहिंसा, सत्य-जैसे धर्म के मौलिक तत्त्वों पर आधारित इसके छोटे-छोटे संकल्पों/नियमों में सदाचार और मानवता के संरक्षण एवं निर्माण की अद्भुत शक्ति है। अन्यान्य वर्गों के संकल्पों की तरह विद्यार्थी-वर्ग के लिए भी इसमें कुछ संकल्प हैं। उपस्थित छात्राओं को आह्वान करूंगा कि वे निर्धारित संकल्प स्वीकार कर अपना जीवन सुसंस्कारित बनाएं।
सेठ सूरजमल जालान गर्ल्स कॉलेज, कलकत्ता ३० मार्च १९५९
विद्यार्थी-काल : जीवन-निर्माण की स्वर्णिम वेला
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