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हम एक बात गहराई से समझें कि अतीत के गीत गाना बहुत महत्त्वपूर्ण नहीं है। बहुत महत्त्वपूर्ण है-वर्तमान भारतीय जीवन का परिमार्जन करना। इसके लिए आत्म-चिंतन, आत्मनिरीक्षण और आत्मपरिमार्जन की आवश्यकता है। अणुव्रत-आंदोलन से इस आवश्यकता की पूर्ति हो सकती है। अपेक्षा है, आप लोग इस आंदोलन से जुड़कर जीवन-परिष्कार के लक्ष्योन्मुख गति करें। इससे आपके अभ्युदय का मार्ग प्रशस्त बनेगा।
रोयल एशियाटिक सोसाइटी, कलकत्ता २८ मार्च १९५९
जैन-आगमों में भारतीय जीवन
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