________________
नहीं, अपितु बड़े-बड़े धनपतियों की स्थिति है ! वे भेड़-बकरियों की तरह अपने लड़के-लड़कियों को खुले आम बेच रहे हैं। मैं मानता हूं, धन के लिए लड़के-लड़कियों को बेचा जाना समाज के लिए एक बहुत बड़ा अभिशाप है, उस पर कलंक का टीका है । इस दुष्प्रवृत्ति ने समाज का कितना पतन और अहित किया है, यह आपसे छिपा नहीं है। लड़कीवालों को पचीस-पचीस हजार तीस-तीस हजार रुपए देने के लिए बाध्य किया जाना निःसंदेह अत्यंत हीनवृत्ति का परिचायक है। ऐसा लगता है कि पैसा ही लोगों के लिए सर्वस्व बन गया है। यह उन लड़के-लड़कियों के लिए बड़ी लज्जा और गंभीर चिंतन की बात है, जो इस प्रकार पशुओं की तरह बिकना मंजूर कर लेते हैं। वे यदि साहस जुटाकर इसके प्रतिरोध में खड़े हो जाएं और बिकना अस्वीकार कर दें तो इस अभिशाप को दूर करने का काम बहुत सुगम हो जाए। अपने-आपको धार्मिक माननेवालों से भी कहना चाहूंगा कि वे यह घातक प्रवृत्ति छोड़ें। संयम को सर्वोच्च मूल्य मिले
विवाह - सगाई के प्रसंग में लड़के-लड़कियों की बिक्री की तरह ही न जाने कितनी दुष्प्रवृत्तियां अर्थकेंद्रित चिंतन के फलस्वरूप समाज में परिव्याप्त हो गई हैं। समाज का कोई वर्ग ऐसा नहीं है, जो बुराइयों से सर्वथा अछूता हो। मैं मानता हूं, जब तक अर्थ के स्थान पर संयम जीवन का सर्वोच्च मूल्य नहीं बनेगा, तब तक इस स्थिति में कोई मौलिक अंतर आना असंभव है। कालक्षेप के साथ बुराइयां अपना रूप बदल - बदलकर समाज पर छाई रहेंगी। इसलिए अपेक्षित है कि लोग अर्थ के प्रति अपना दृष्टिकोण परिवर्तित करें; संयम का यथार्थ मूल्यांकन करते हुए उसे अपने सही स्थान पर प्रतिष्ठित करें। अणुव्रत आंदोलन संयम की चेतना जगाने का आंदोलन है, उसे जीवन के सर्वोच्च मूल्य के रूप में स्थापित करने का प्रयत्न है। आप इस आंदोलन की आचार संहिता स्वीकार कर अपना जीवन संयमोन्मुख बनाएं। इससे आपकी धार्मिकता को सही आधार मिलेगा। आप वास्तविक सुख और शांति की अनुभूति से गुजर सकेंगे।
कलकत्ता
२२ मार्च १९५९
आचार जीवन की मूल पूंजी है
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
१२१ •
www.jainelibrary.org