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प्रामाणिकता के आधार पर धार्मिक बनाने का उपक्रम है। वह समाज के सभी वर्गों को नैतिक, प्रामाणिक और सच्चरित्र देखना चाहता है। छोटेछोटे संकल्पों के द्वारा दुष्प्रवृत्तियों से दूर कर उन्हें सदाचारी बनाना चाहता है। व्यापारी वर्ग के लिए भी उसमें बेमेल मिलावट नहीं करना, तौल-माप में कमी-बेशी नहीं करना-जैसे कुछ संकल्प हैं। वे संकल्प स्वीकार कर व्यापारी लोग अपना व्यापारिक व्यवहार स्वस्थ बना सकते हैं। आशा करता हूं, उपस्थित व्यापारी आंदोलन की दार्शनिक पृष्ठभूमि समझकर उसके व्रत स्वीकार करेंगे और अपने व्यापार में सत्य, प्रामाणिकता, नैतिकता व ईमानदारी का व्यवहार कर दूसरों के लिए प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत करेंगे।
कलकत्ता २१ मार्च १९५९
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- ज्योति जले : मुक्ति मिले
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