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________________ ४६ : सभ्यता और संस्कृति भारतीय संस्कृति की आधारशिलाएं भारतीय संस्कृति एक महान संस्कृति है। सहिष्णुता, संतोष, उदारता, क्षमा, मैत्री और संयम उसकी आधारशिलाएं हैं। दूसरे शब्दों में ये उसके मूल आदर्श हैं, जिन्हें स्वीकार कर मानव कल्याण के पथ पर अग्रसर होता हुआ जीवन के प्रति अपना मोह भी तिरोहित कर देता है। भारतीय संस्कृति की इन्हीं विशेषताओं के कारण यहां चार्वाक दर्शननास्तिकवाद को भी विभिन्न-दर्शनों की तरह ही एक दर्शन का स्थान प्राप्त है। इस संस्कृति की बड़ी विशेषता यह है कि इसने बड़ी उदारतापूर्वक दूसरी-दूसरी संस्कृतियों से आदान-प्रदान किया है। सांस्कृतिक तत्त्वों को आदान-प्रदान ___आप देखें, भारतीय संस्कृति ने सारे संसार को संयम और सहिष्णुता की अमूल्य निधि का दान दिया है। यदि संसार से भारतीय वाङ्मय हटा दिया जाए तो वह इस दृष्टि से विपन्न हो जाएगा। इसी प्रकार भारतीय संस्कृति से बाहरी तत्त्व हटा दिए जाएं तो उसमें एक अभाव नजर आने लगेगा। समझने की बात यह है कि बाहरी तत्त्व भी भारतीय संस्कृति में इस प्रकार घुल-मिल गए हैं, पच गए हैं कि उनके पृथक अस्तित्व का कोई पता नहीं चलता। वैसे निश्चय में तो सांस्कृतिक तत्त्व सबके एक ही हैं। उनमें भारतीय और अभारतीय का कोई भेद नहीं है। जिस प्रकार जाति, रंग, लिंग आदि बाहरी भेदों के बावजूद मानवता और मानव-जाति संपूर्ण विश्व की एक है, ठीक उसी प्रकार भिन्न-भिन्न क्षेत्रों और देशों में विकसित होने के कारण सांस्कृतिक तत्त्वों को भी अलग-अलग पहचान मिल गई, पर वास्तव में उनमें अभेद है। इस परिप्रेक्ष्य में जो सांस्कृतिक तत्त्व विशेष रूप से भारतवर्ष में विकसित हुए, उन्हें भारतीय संस्कृति के रूप में पहचाना जाने लगा। •११० - - ज्योति जले : मुक्ति मिले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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