________________
४२ : संयम का वातावरण निर्मित हो
धर्म जीवन-व्यवहार में आए
आज राष्ट्र के समक्ष अनेक विकट समस्याएं हैं। मैं मानता हूं, समस्याओं का पैदा होना कोई नई बात नहीं है, पर कठिनाई यह है कि उनका कोई कारगर समाधान नहीं मिल रहा है। इस स्थिति में लोग खूनी क्रांति के प्रति आशंकित हैं। निश्चय ही खूनी क्रांति एक भयानक स्थिति है। इसकी कल्पना मात्र से रोमांच होता है। यदि राष्ट्र को इस स्थिति से बचाना है तो उसका एक मात्र विकल्प यह है कि संयम का वातावरण निर्मित कर मानवता की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। संयम धर्म का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष है, बल्कि कहना चाहिए कि सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पक्ष है। इसलिए संयम का वातावरण निर्मित करने के लिए धर्म को महत्त्व देना होगा। इस संदर्भ में आज की कठिनाई यह है कि धर्म अपनी सही प्रतिष्ठा पर नहीं है। वह धर्मस्थानों में कैद-सा होकर रह गया है, जबकि वह व्यक्ति-व्यक्ति के दैनंदिन आचरण का तत्त्व है। अपेक्षा है, वह इस कैद से मुक्त होकर जन-जन के जीवन-व्यवहार में प्रतिष्ठित हो। उसकी हर प्रवृत्ति में उसका प्रतिबिंब झलके। वह घर, दुकान,
ऑफिस....""जहा-कहीं भी रहे, वह स्थान धर्मस्थान बन जाए। यदि ऐसा व्यवहार्य हुआ तो संयम का वातावरण निर्मित होते समय नहीं लगेगा। जरूरी है आत्म-निरीक्षण ____ मैं देखता हूं, लोग भ्रष्टाचार, अनैतिकता आदि अवांछनीय प्रवृत्तियों के लिए एक-दूसरे की आलोचना करते हैं। यह उचित नहीं है। इससे समस्याएं समाहित नहीं होंगी। समस्याओं के समुचित समाधान की प्रक्रिया यह है कि व्यक्ति अपना आत्म-पर्यवेक्षण करे, स्वयं को देखे। यदि उसके स्वयं के द्वारा कोई अनैतिक कार्य हो रहा हो तो वह उस पर संयम का अंकुश लगाए। यदि व्यक्ति-व्यक्ति इस प्रकार अपनी • १०२
- ज्योति जले : मुक्ति मिले
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org