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________________ छोटे-छोटे व्रतों के माध्यम से निर्माण का कार्य संपादित करता है। आज के इस वैज्ञानिक युग में लोग इस भाषा में भी सोच सकते हैं कि व्रतों की क्या आवश्यकता है, क्या उपादेयता है । व्रतों की आवश्यकता और उपादेयता शाश्वत है। भले वैज्ञानिक युग हो या अन्य कोई युग, इनकी आवश्यकता और उपादेयता समाप्त नहीं होती । मूलतः व्रतों के द्वारा व्यक्ति की संयम-चेतना झंकृत और जाग्रत होती है, जो कि मनुष्य को सही अर्थ में मनुष्य बनाती है। पिछले एक दशक से अणुव्रत आंदोलन जन-जन की संयम-चेतना झंकृत और जागृत करने का प्रयत्न कर रहा है । इस प्रयत्न के परिणामस्वरूप राष्ट्र में नैतिक जागरण एवं चारित्रक अभ्युदय का एक वातावरण निर्मित हुआ है। लोग इसकी आवश्यकता महसूस करने लगे हैं। आपने मेरे स्वागत में अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। उनमें आपकी श्रद्धा और भक्ति बोलती है, तथापि मेरा वास्तविक स्वागत तो इसी में है कि आप अणुव्रत-आंदोलन की आचार संहिता स्वीकार करते हुए अपनी जीवनगत बुराइयों को तिलांजलि दें। जैसा कि मैंने प्रारंभ में कहा था, मैं यहां के जन-जीवन में व्याप्त बुराइयों / दुष्प्रवृत्तियों / कुसंस्कारों की भिक्षा लेने के उद्देश्य से ही इस महानगर में आया हूं। आशा है, अणुव्रती बनकर आप इस अकिंचन फकीर की झोली अवश्य भरेंगे। कलकत्ता ८ मार्च १९५९ राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण हो Jain Education International For Private & Personal Use Only ८७० www.jainelibrary.org
SR No.003113
Book TitleJyoti Jale Mukti Mile
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages404
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size13 MB
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