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व्यावहारिक स्तर पर भी अंतरराष्ट्रीय स्वरूप प्रदान कर दिया जाए।' मैंने उनसे कहा-'अंतरराष्ट्रीय शब्द के मोह में हमें नहीं जाना चाहिए। हम तो सतत अपना कार्य करते रहें। यदि इस कार्यक्रम में शक्ति है, इसकी व्यापक उपयोगिता है तो यह अंतरराष्ट्रीय स्वयं बन जाएगा। हमें इसके लिए अलग से प्रयत्न करने की जरूरत नहीं है। वैसे इन दस वर्षों में सभी वर्गों के लोग इसके साथ जुड़े हैं। हमारा लक्ष्य भी है कि हम सभी वर्गों, संप्रदायों के लोगों को इसके साथ जोड़ें। मेरी दृष्टि में इसका सार्वजनीन रूप प्रतिष्ठित हो चुका है।'
इस आंदोलन की एक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि व्यावहारिक दृष्टि से यह केवल जैन-धर्म का आंदोलन नहीं है, बल्कि सभी धर्मों का आंदोलन है। दूसरे शब्दों में यह सभी धर्मों का नवनीत है। इसलिए आत्मशुद्धि या जीवन-शुद्धि में विश्वास करनेवाले सभी लोगों को मैं आह्वान करता हूं कि वे व्यापक दृष्टिकोण से यह कार्यक्रम अपनाएं और अणुव्रती बनें। यह उनके स्वयं के लिए तो वरदायी बनेगा ही, मानवता की भी बहुत बड़ी सेवा होगी।
वाली (उत्तर पाड़ा) ६ मार्च १९५९
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ज्योति जले : मुक्ति मिले
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