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सोया मन जग जाए
इसका अर्थ क्या है ? मौन वहां करो जहां विवाद, कलह और संघर्ष की स्थिति हो। यहां मौन का अर्थ समझ में आ सकता है। कोई व्यक्ति यह संकल्प ले कि जहां कोई व्यक्ति विवाद खड़ा करेगा, गाली देगा, वहां मैं मौन हो जाऊंगा, वाणी का संयम कर लूंगा। यह मौन का अभ्यास और प्रयोग समझ में आ सकता है पर जो आज चल रहा है, उसका प्रयोजन समझ से परे है। अभ्यास इसलिए कि मौन कि स्थिति आने पर मैं सहजतया मौन कर सकू। ग्यारह बजे लड़ाई होती है और मैं मौन करता हूं बारह बजे या एक बजे। इसका अर्थ क्या हुआ? मौन का फलित क्या हुआ?
कलह के अनेक कारण हैं। उनमें एक है—रुचिभेद। यह भी भोजन से अधिक संबंधित है। किसी को कुछ रुचता है और किसी को कुछ। सबकी रुचि समान नहीं होती। भोजन में रुचिभेद बहुत होता है, अत: भोजन कलह का अखाड़ा बन जाता है। थाली के ठोकर भोजन के समय ही लगती है। गालियां बकने या पत्नी को बुरा-भला कहने का समय भी भोजन-काल ही है। मन की ऊमस भी उसी समय निकलती है। यदि कोई व्यक्ति भोजन के समय मौन रखता है तो वह कलह-निवारण का एक उपाय है, प्रयोग है और मौन का अर्थ समझने का निदर्शन है। ___ कलह का दूसरा कारण है चिन्तन का भेद। एक व्यक्ति कुछ सोचता है और दूसरा उससे ठीक विपरीत सोचता है। हर व्यक्ति में सोचने की भिन्नता होती है। चिन्तन का जहां भेद होता है, वहां कलह की आशंका होती है। जब चिन्तन का भेद उभर कर सामने आए, वहां मौन का प्रयोग होना चाहिए। व्यक्ति जब मौन हो जाता है तब भेद आगे नहीं बढ़ता। यहां 'मौनं शरणं गच्छामि' का तात्पर्य स्पष्ट समझ में आ जाता है। __ कलह का दूसरा कारण है—-आग्रह। बात की इतनी पकड़ हो गई कि टूट भले ही जाए पर उसमें ढील नहीं दी जा सकती। कुछ भी हो जाए, मैं अपना आग्रह नहीं छोडूंगा, ऐसी स्थिति में कलह बढ़ता चला जाता है।
दो भाई थे। पिताजी का देहावसान हो गया। परस्पर बड़ा प्रेम था, सौहार्द था। परिवार बढ़ा। दोनों भाई बंटवारा कर अलग-अलग होते हैं। सारा बंटवारा हो गया। घर में सुपारी का एक पेड़ था। उसके बंटवारे के विषय में दोनों भाई अड़ गए। बड़े ने कहा, सुपारी का पेड़ मैं रखूगा। छोटे ने कहा, नहीं, यह मैं रखूगा। दोनों में तनातनी हो गई। सोचा दोनों ने नहीं। एक के पास रहता तो दूसरे को सुपारी खाने को तो मिलती। पर दोनों अड़ गए। यह अड़ना पेड़ के लिए नहीं रहा, बात का हो गया। बात तन गई। मौन
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