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युद्ध : कामवृत्ति के साथ
77 यह तात्पर्य नहीं है कि डंडा नहीं मारना। कभी-कभी डंडा मारना भी आवश्यक हो जाता है। भारतीय चिन्तन में दमन का बहुत व्यापक अर्थ है। लज्जा, एकाग्रता, धृति, क्षमा आदि-आदि सदाचार की बीसों वृत्तियों का नाम है 'दमन'। श्वासप्रेक्षा का प्रयोग करना, आनन्द-केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करना, अन्तर्यात्रा का प्रयोग करना ये सारे दमन हैं। इनको बुरा कैसे माने? दमन बुरा ही नहीं होता। हम वृत्तियों का उपशमन करें, यह दमन ही है। उपशमन और दमन की प्रक्रिया अत्यन्त वैज्ञानिक है। 'दमित वासनाएं समस्याएं पैदा करती है'-फ्रायड की इस बात को ठीक समझा नहीं गया। दमन आवश्यक है और दमित वासनाएं खतरनाक भी होती हैं ये दोनों विरोधी बातें हैं। जब हम वृत्तियों को शान्त करने के लिए उपाय का आलंबन लेते हैं तब वह दमन नहीं होता। वहां वृत्ति का शमन होता है। वह दमन की प्रक्रिया नहीं है, उपाय है। वृत्ति जागी और उसे बलात् रोकना दमन हो सकता है, पर उस वृत्ति को उपाय के द्वारा शान्त करना दमन नहीं है, शमन है। शमन बुरा नहीं होता। यह आज की अनिवार्य आवश्यकता है। दूध में उफान आया, पानी का छींटा दिया और उसका उफान शान्त हो गया। यह उफान को शान्त करने का उपाय है। वृत्ति जागी। उपाय किया। दीर्घश्वास या अन्तर्यात्रा या अनुप्रेक्षा का आलंबन लिया और वृत्ति के उस उफान को शान्त कर दिया। यह शमन की प्रक्रिया है। इसका आलंबन लेकर हम सुखी और आनन्दमय जीवन जी सकते हैं।
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