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युद्ध : कामवृत्ति के साथ
एक महिला कुत्ते को प्रशिक्षित कर रही थी। पति ने देखा। उसने पत्नी से कहा—'व्यर्थ का श्रम क्यों कर रही हो? कुत्ता इतना जिद्दी है कि वह तुम्हारी एक बात भी नहीं मानेगा। पत्नी बोली-भूल गए। शादी हुई थी तब तुम कितने जिद्दी थे? ___ किसी को भी उपाय के द्वारा प्रशिक्षित किया जा सकता है। कामवृत्ति क्यों पैदा होती है, इस पर विचार करना जरूरी है। मनोविज्ञान ने भी उसको उत्पत्ति का आन्तरिक कारण माना है। दर्शन की भाषा में वह आन्तरिक कारण है कर्मशरीर, कर्म-संस्कार। प्रत्येक प्राणी के साथ कर्म-संस्कारों का अटूट खजाना है। वृत्तियों का वही उत्पत्ति-स्रोत है, उत्स है। काम की वृत्ति भी वहीं से निकलती है। वह मोहकर्म से पैदा होती है। यदि हम वृत्ति को शांत और अनुशासित रखना चाहें तो हमें मोहकर्म की निर्जरा करनी होगी। निर्जरा महत्वपूर्ण शब्द है। इस वृत्ति के लिए दो शब्दों पर ध्यान देना जरूरी है। वे दो शब्द हैं-संवर और निर्जरा। ये युद्ध के शक्तिशाली शस्त्र हैं। शत्रु को आगे न बढ़ने देना, शत्रु की अपनी सीमा में न घुसने देना, यह है संवर और जो शत्रु घुस चुके हैं उनको समाप्त कर देना, नष्ट कर देना, यह है निर्जरा। यह है क्षयीकरण। नई कामना को पैदा न होने देना संवर है और कामनाओं का जो ढेर पड़ा है, जो संस्कारों का चय है, उसको नष्ट करना, विलय करना, यह है निर्जरा। ___ अनेक ध्यान-पद्धतियां हैं। उनमें साक्षी या द्रष्टा बने रहने की बात सिखाई जाती है। यह अच्छी बात है। द्रष्टाभाव या साक्षीभाव से संवर तो हो सकता है, नई कामना उत्पन्न नहीं हो सकती, परन्तु जो पुराना संग्रह है कामनाओं और वृत्तियों का, उसका विलयन कैसे होगा? द्रष्टाभाव से निर्जरा नहीं हो सकती, संवर हो सकता है। युद्ध में विजय पाने के लिए केवल संवर पर्याप्त नहीं है। निर्जरा के बिना, संचित वृत्तियों के विच्छेदन के बिना, पूरा युद्ध लड़ा नहीं जा सकता। संचित वृत्तियों के विच्छेदन के लिए हमें उपाय करना होगा। उसका उपाय है, वृत्ति को देखना और प्रतिपक्ष की भावना के द्वारा उसका विलय करना। प्रेक्षा के साथ अनुप्रेक्षा का प्रयोग भी महत्वपूर्ण है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। अनुप्रेक्षा के प्रयोग के बिना वृत्तियों का विलयन नहीं होता, यह अनुभव की बात है। मैंने अनुभव किया है कि द्रष्टाभाव से स्वभाव को बदलना कठिन मार्ग है। यह दीर्घकालीन उपक्रम है। यह लम्बा मार्ग है। इस पर हरेक व्यक्ति का चल पाना कठिन है, संभव भी
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