________________
58
सोया मन जग जाए
आसक्ति विरक्ति में और राग विराग में बदल सकता है, यदि उपयुक्त वातावरण और दृष्टिकोण मिले। आज आसक्ति को उद्दीपन देने वाले निमित्त बहुत हैं। एक बच्चे को भी प्रारम्भ से ही वासना को उत्तेजित करने वाले निमित्त ही बहुलता में मिलते हैं। वह धीरे-धीरे सीखता-सीखता अपराधी, आक्रामक और उदंड बनता है। यह सारा उसे प्रारम्भ से ही प्राप्त होने वाले वातावरण का दोष है। उसे सारे आलंबन, उद्दीपन और निमित्त इस ओर ले जाने वाले ही मिलते हैं। क्यों दोष दें उसको? वह सिनेमा देखता है, टी. वी. देखता है, समाचार पत्र पढ़ता है। इनके निरंतर पठन-पाठन से यदि वह इस उदंड मार्ग पर जाता है तो इसमें नवीनता क्या है? आश्चर्य क्या है? इस सचाई का भी हमें अनुभव करना होगा कि उद्दीपन और आलंबन का विवेक किया जाए। वासना और कामना को उद्दीपत करने वाले वातावरण के साथ-साथ यदि उनको शांत करने वाला वातावरण भी प्राप्त होता है तो संतुलन रह सकता है, अन्यथा बिगाड़ ही बिगाड़ है। ___डॉ० गांगुली होम्योपैथी के ख्यातनामा डॉक्टर हैं। आज ही मैंने उनसे कहा२४ घंटे का समय है। आप नियोजन करें। यदि १२ घंटे समाज के लिए देते हैं तो १२ घंटे अपने व्यक्तिगत जीवन की साधना के लिए लगाएं तो ठीक समय का नियोजन होगा और व्यवस्था ठीक चलेगी। कोई आदमी इतना शक्तिशाली नहीं होता कि २४ घंटा काम में ही लगा रहे। वह ज्यादा टिक नहीं पाएगा। आखिर एक व्यवस्था और संतुलन स्थापित करना होता है। सबसे बड़ी बीमारी असंतुलन की बीमारी है। मैं यह नहीं सोचता कि कोई भी सामाजिक प्राणी, वीतराग बन जाएगा, विरक्त बन जाएगा या पदार्थ से मुंह मोड़ लेगा। ऐसा सोचना भी समझदारी का सोचना नहीं है। किन्तु कम से कम इतना तो सोचना ही चाहिए कि जीवन में यदि पचास प्रतिशत पदार्थ के प्रति आकर्षण चलता है तो पचास प्रतिशत विकर्षण भी होना चाहिए। संतुलन तो होना चाहिए। यहां संतुलन वाली बात समझ में नहीं आ रही है।
प्रेक्षा-ध्यान का अभ्यास करने वाले व्यक्ति के दिमाग में यह बात स्पष्ट होनी चाहिए कि ५०/५० का संतुलन रहे। अपने लिए भी, अपने बच्चों के लिए भी, अगली पीढ़ी के लिए भी। यदि हम ऐसा कर सकें तो एक बहुत बड़ी सफलता होगी। यह सफलता का बहुत बड़ा सूत्र है। ___ हम खाते हैं और नहीं भी खाते। पीते हैं और नहीं भी पीते । सोते हैं और नहीं भी सोते-जागते हैं। यह संतुलन है। कोई भी २४ घंटा खा नहीं सकता और २४ घंटा खाए बिना भी नहीं रह सकता। कोई भी २४ घंटा सो नहीं सकता और २४ घंटा सोए बिना रह भी नहीं सकता। प्रकृति ने एक संतुलन
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org