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दृष्टि बदलें : सृष्टि बदलेगी
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प्रज्ञा का जागरण भीतर में होता है । शक्ति का जागरण भीतर में होता है । हम बाहर में शक्ति को खोजते हैं, किन्तु मूल स्रोत हमारे भीतर है । प्राणशक्ति प्रबल होती है तो बाहर की शक्ति भी काम आती है। प्राणशक्ति नहीं है तो बाहर की शक्ति भी सहारा नहीं दे सकती । कितने ही व्यायाम करें, कितनी ही दवाईयां खा लें और कितने ही शक्ति के केप्सूल ले लें, यदि प्राण शक्ति प्रबल नहीं है तो एक भी दवा और एक भी रसायन काम नहीं करेगा । हमारी यह आस्था पैदा हो कि शक्ति का मूल स्रोत हमारे भीतर है। ज्ञान का और आनन्द का मूल स्रोत हमारे भीतर है। आपके पास सुख के सारे साधन हैं । पर यदि भीतर में आनंद नहीं खोजा, चित्त की स्वस्थता नहीं आई तो आनन्द उपलब्ध नहीं होगा । यह हमारी धारणा बदले और बाहरी संपदा के साथ-साथ भीतरी संपदा की खोज प्रारम्भ हो तो हम मान लें कि दृष्टिकोण बदल गया ।
तीसरी बात है कि मानसिक स्वास्थ्य के बिना शारीरिक स्वास्थ्य टिक नहीं सकता — इस सचाई में आस्था हो, इसका साक्षात्कार हो । आदमी शरीर को बहुत स्वस्थ रखना चाहता है । हर आदमी चाहता है कि शरीर स्वस्थ रहे। किन्तु जब तक यह सचाई समझ में नहीं आएगी कि चित्त स्वस्थ नहीं है और मन स्वस्थ नहीं है, तब शरीर स्वस्थ रह ही नहीं सकता । इस सचाई का साक्षात्कार होना चाहिए । यह बहुत बड़ी सचाई है । आज चिकित्सा विज्ञान और आयुर्विज्ञान में भी इस सचाई को स्वीकारा गया है कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए मानसिक स्वास्थ्य बहुत आवश्यक है । यह बात अब बहुत स्पष्ट हो चुकी है। बहुत सारी बीमारियां हमारे मन के कारण होती हैं। बड़ा आश्चर्य होता है। आदमी अपने को तो स्वस्थ रखना चाहता है किन्तु उद्वेग करता है, आवेश में आता है और घृणा भी करता है । वह दूसरों की निन्दा भी करता है, दूसरों को सताता भी है । ये सारी मानसिक प्रवृत्तियां करता है और अपने आपको स्वस्थ भी रखना चाहता है, यह कैसे संभव होगा ? बिलकुल विरोधी बातें हैं । जिस व्यक्ति को अपना मानसिक स्वास्थ्य इष्ट नहीं है, उसे शारीरिक स्वास्थ्य भी इष्ट नहीं है। केंसर की बीमारी, अल्सर की बीमारी, श्वास- दमा की बीमारी — इस प्रकार की भावना जागती है और बीमारी पैदा हो जाती है । ऐसे रोगी हमारे पास आते हैं जिन्होंने बताया कि डॉक्टर के पास गए और सारा निदान कराया। आज के जितने उपकरण हैं उनसे सारा चेक अप करा लिया, डॉक्टर कहता है कि कोई बीमारी नहीं और बीमारी भोगी जा रही है । यह बीमारी डॉक्टर की पकड़ में नहीं आएगी, यन्त्रों की पकड़ में नहीं आएगी। क्योंकि यह है तो मानसिक बीमारी और निदान किया जा रहा है शरीर
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