________________
४. क्या मूर्छा को कम किया जा सकता है?
मूर्छा दुःख का कारण है। मूर्छा है जागरण का अभाव। आदमी सोता है, इसीलिए दु:ख होता है। सोना बहुत आवश्यक भी है और सोना एक समस्या भी है। सोते समय श्वास की गति बढ़ जाती है। वह छोटा हो जाता है। छोटा श्वास आयु को कम करता है। जो अधिक समय तक सोता है वह अल्प-आयुष्क होता है। परिमित समय तक सोता है तो आदमी ठीक-ठीक जी लेता है।
इर प्रवृत्ति के साथ समस्या जुड़ी हुई होती है। सोना जरूरी है तो सोना खतरनाक भी है। दस-बारह घंटा सोना अल्पायु होना है। जो आदमी लंबा जीना चाहता है उसे सोने की सीमा कम करनी चाहिए। जो मूर्च्छित है वह सोया हुआ है। सामाजिक स्तर पर मूर्छा भी जरूरी मान ली गई। यदि मूर्छा नहीं होती है तो बच्चे का लालन-पालन नहीं हो सकता। कोई संबन्ध ही नहीं होता। कोई किसी चीज़ की सुरक्षा नहीं कर पाता। मूर्छा है इसीलिए प्रवृत्ति का यह चक्र चल रहा है। मूर्छा नहीं होती तो सोने को कौन इकट्ठा करता? मूर्छा नहीं होती तो हीरों, पन्नों को कौन संजोकर रखता? जैसे पत्थर ठोकर में पड़े रहते हैं, वैसे ही वे भी पड़े रहते। तो फिर वस्तु का यथार्थ मूल्यांकन नहीं होता। कहां पत्थर और कहां हीरा! किन्तु मूर्छा सबको अपने-अपने स्थान पर टिकाए हुए है।
फकीर के पास एक सम्राट् आया। फकीर जानता था। सम्राट् जब जाने लगा तब फकीर ने पांच-दस कंकड़ सम्राट को देते हुए कहा मेरे ये कंकड़ ले जाओ। जब तुम मरकर अगले लोक में जाओ तब मैं वहां तुमसे मिलूंगा। तब मेरे ये कंकड़ मुझे दे देना। सम्राट् हंसकर बोला-बड़े भोले हो तुम! क्या कोई भी व्यक्ति मर कर अपने साथ कुछ ले जा पाता है? यह असंभव है। फकीर बोला- तुम सच कह रहे हो? सम्राट् बोला—'यह सच है। सब जानते हैं।' फकीर ने कहा तो फिर प्रजा का शोषण कर तुम इतना वैभव क्यों एकत्रित कर रहे हो? मैं तो समझता था, और कोई ले जाए या नहीं, तुम तो अवश्य ही सारा वैभव साथ ले जाओगे। यदि नहीं ले जा सकते तो फिर इतनी मूर्खता क्यों कर रहे हो? सम्राट् की आंख खुल गई। ___ मूर्छा के कारण ही संचय किया जाता है। कभी-कभी मैं सोचता हूं, मूर्छा नहीं होती तो समाज और परिवार कैसे चलता? माता बच्चे के
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org