________________
30
सोया मन जग जाए
सधा हुआ होता है तो ध्यान बीच में नहीं टूटता, एकाग्रता अच्छे ढंग से सध जाती है। ___ आसन की सिद्धि होने पर प्राणायाम की सिद्धि होती है और फिर द्वन्द्व सता नहीं सकते। आसनसिद्धि का अर्थ है एक ही आसन में तीन घंटा बैठे रहना। इससे द्वन्द्वों, कष्टों को सहने की क्षमता बढ़ती है। तब ध्यान सिद्ध होता है। ध्यान की सिद्धि और मन की सिद्धि तभी सम्भव है जब आसन-सिद्धि हो जाए, कार्यसिद्धि हो जाए। ___ इस सारी स्थिति के संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि मूड को ठीक रखने के लिए, 'क्षणे तुष्ट: क्षणे रुष्ट:' की प्रकृति को बदलने के लिए, मस्तिष्क के दोनों गोलार्डों का संतुलन जरूरी है। इस सन्तुलन को साधने के लिए दोनों स्वरों—चन्द्रस्वर और सूर्यस्वर का संतुलन अपेक्षित है। इस संतुलन का महत्त्वपूर्ण प्रयोग है समवृत्ति श्वास-प्रेक्षा।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org