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सोया मन जग जाए
एक मात्र कारण है मानव का मस्तिष्क। एक व्यक्ति अर्थ का इतना संग्रह कर लेता है कि दूसरे समस्या में फंस जाते हैं। एक जगह इतना बड़ा पहाड़ या ढेर बना लेता है कि दूसरी जगह गढ़े ही गढ़े हो जाते हैं। यह सारी करतूत है मस्तिष्क की। यदि मनुष्य स्वस्थ होता है तो समस्याओं को सुलझाने में सुविधा हो जाती है।
समस्या का मूल है—मानव का मस्तिष्क । यदि इसको दुरस्त किया जाता है तो आदमी समस्याओं की जटिलताओं से बच जाता है। इस कोण से यदि हम सोचें तो चैतन्य-विकास की बात प्रमुख बन जाती है। यदि चैतन्य-विकास हो जाता है तो सारी समस्याओं के समाधान का द्वार खुल जाता है। यदि यह एक नहीं होता है तो समस्यओं को उलझने का असवर मिल जाता है। इस निष्कर्ष को केन्द्र में मानकर परिधि का चिन्तन करें तो लक्ष्य स्पष्ट हो जाता है। हम इसे संक्षेप में नहीं, कुछ विस्तार से समझें। ___मुल्ला नसरुद्दीन बहुत प्रसिद्ध था अपने वाक्-चातुर्थ के लिए। वह इतना चतुर था कि दूसरे लोग उसकी बात में उलझ जाते। एक बार वह कानून की गिरफ्त में आ गया। न्यायाधीश के समक्ष उपस्थित किया गया। बहस चली। मुल्ले के बहस सुनकर न्यायाधीश चकरा गया। उसने कहा मुल्ले! तुम इतने वाक्-चतुर हो कि प्रत्येक बात को उलझा देते हो। हमारे लिए भी समस्या खड़ी कर देते हो। थोड़ा कम बोलो। साफ-साफ कहो। एक काम करो, मैं जो पूछे उसका उत्तर 'हां' या 'नां' में दो। समस्या को पेचीदा मत बनाओ। मुल्ला बोला—माई लार्ड! आप ठीक कहते हैं। पर आपने ही तो शपथ दिलाई है कि सच बोलना है, झूठ नहीं। आप इस शपथ को उठा लें, फिर मैं 'हां' या 'नां' में ही उत्तर दूंगा। जब तक यह शपथ है तब तक मुझे बात को विस्तार से रखना होगा, अन्यथा बात बनेगी नहीं। जज ने कहा-ऐसी क्या बात है जिसे 'हां' या 'नां' में नहीं कहा जा सकता। मुल्ला बोला—नहीं कहा जा सकता। न्यायाधीश भी अपने हठ पर था और मुल्ला भी हठ पर था। न्यायाधीश कहता है कहा जा सकता है। मुल्ला कहता है नहीं कहा जा सकता। दोनों अड़ गए। मुल्ला बोला—'माई लार्ड ! मैं आपसे एक प्रश्न पूछता हूं, आप उसका उत्तर 'हां' या 'नां' में दें और फिर मैं आपके प्रश्न का उत्तर भी 'हां' या 'नां' में दूंगा।' जज ने मुल्ला की शर्त को स्वीकार कर लिया।
मुल्ला बोला—आपने आज से अपनी पत्नी को पीटना बंद कर दिया या नहीं? केवल 'हां' या 'नां' में उत्तर दें। जज दुविधा में फंस गया। 'हां' कहने का अर्थ है-आज तक पीटता था और 'ना' कहने का अर्थ है पीटना अब भी
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