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सोया मन जग जाए
147 आवश्यकता को कम करेगी। परस्पर विरोध वाली बात नहीं है। यदि आवश्यकता की बात ही रही तो प्रवृत्ति को बल मिलेगा, जीवन की व्यवस्था गड़बड़ा जाएगी, साधना की बात प्राप्त ही नहीं होगी। इसलिए यह आवश्यक है कि आदमी प्रतिदिन कुछ समय निवृत्ति की साधना में बिताए। निवृत्ति का सूत्र जीवन-विकास का महान् सूत्र है।
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