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________________ 139 चारित्र-परिवर्तन के सूत्र उसके रूपान्तरण का सही घटक है। द्वेषात्मक प्रकृति वाले व्यक्ति के लिए हरा रंग वाला आवास कारगर होता है। वासना विजय और इन्द्रिय विजय के लिए नीले रंग का ध्यान उपयोगी है। नमस्कार महामन्त्र का पांचवां पद है—णमो लोए सव्वसाहणं' । उसका स्थान है. स्वास्थ्य केन्द्र। वहां नीले रंग का ध्यान किया जाता है। ऐसा करने से उत्तेजना शांत होती है, रागात्मक भाव बदलता है। ___ उस स्कूल के बच्चे बहुत उदंड थे। विचार-विमर्श हुआ। हल नहीं निकला। एक मनोचिकित्सक ने देखा। उसे पता चला कि स्कूल के कमरे लाल रंग से पुते हुए हैं। नीचे लाल रंग की कालीन बिछी हुई है। बच्चों की उदंडता का कारण है यह लाल रंग। उसने व्यवस्थापकों को कहकर लाल रंग के स्थान पर नीला रंग कर दिया। कुछ ही महीनों में बच्चों की उदंडता मिट गई। वे विनम्र हो गए, अनुशासित हो गए। नियन्त्रण का अर्थ बांध देना नहीं है। पागल आदमी को बांधा जा सकता है। आदमी के लिए मनोवैज्ञानिक ढंग से स्थितियां बदल कर नियंत्रण प्रस्तुत करना चाहिए। तीसरा नियंत्रण है साथी का। अच्छा साथी मिलता है तो व्यक्ति बदल जाता है। यदि बुरे का सहवास होता है तो अध:पतन होता है। शास्त्र कहते हैंनिउणं सहायं, गुणाहिअं वा गुणओ समं वा' साथी निपुण हो, वह स्वयं के गुणों से अधिक गुणी हो या समान गुणवाला हो। वैसा साथी साथ निभा सकता है और उबार सकता है। वह चरित्र को बदल सकता है। चरित्र को बदलने के चार उपाय प्रस्तुत किए१. आसक्ति और आवश्यकता का भेद-बोध २. अशौच भावना का अभ्यास ३. श्मशान-दर्शन, मृत्यु दर्शन ४. भय की अनिवार्यता। ये सारे मध्यवर्ती उपाय हैं। अन्तिम सचाई है समता। वह एक साथ नहीं । उभरती। इन माध्यमों से हमें वहीं पहुंचना है। - हमें सबसे पहले अपने चरित्र को समझना होगा कि मेरा चरित्र राग-प्रधान है या द्वेष-प्रधान । दोनों के भिन्न-भिन्न आलंबन होंगे। द्वेषात्मक प्रकृति वाले के लिए ज्योतिकेन्द्र की साधना और रागात्मक प्रकृति वाले के लिए आनन्दकेन्द्र की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003112
Book TitleSoya Man Jag Jaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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