SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 123
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६. अपनी आत्मा अपना मित्र हम अनन्त महासागर में श्वास ले रहे हैं। अनन्त है अतीत और अनन्त है भविष्य। सब कुछ अनन्त ही अनन्त । सत्य भी अनन्त है। इसलिए अतीत में भी सत्य खोजा गया और भविष्य में भी खोजा जाता रहेगा। सत्य की खोज कभी पूरी नहीं होगी, क्योंकि वह अनन्त है। अनन्त कभी पूरा नहीं होता। वह पूर्ण होता है। पूर्ण और अनन्त इसलिए कि न वह बुद्धिगम्य है और न शब्दगम्य । बुद्धि की अपनी सीमा है। शब्द की अपनी सीमा है, इसलिए सत्य इस सीमा में आबद्ध नहीं होता। वह असीम है। ससीम में कैसे आएगा? फिर भी मनुष्य सत्य को बुद्धिगम्य और शब्दगम्य करने का प्रयत्न करता रहा है। उसे जानने. खोजने और क्रियान्वित करने का प्रयास करता रहा है। सत्य की खोज अनेक दिशाओं में हुई है। अनेक व्यक्तिओं ने सत्य को खोजा है। दार्शनिकों ने सत्य को खोजा तो वैज्ञानिकों ने भी सत्य को खोजा। धर्म और अध्यात्म के आचार्यों ने भी सत्य की खोज की। इस प्रकार नाना दिशाओं में सत्य खोजा जाता रहा है। दो शब्द हैं शत्रु और मित्र। खोजा गया कि शत्रु कौन और मित्र कौन? उनकी पहचान क्या है? जीवन की यह महत्वपूर्ण खोज है। अनेक बार ऐसा होता है कि जो शत्रु माना जाता है, वह मित्र निकल जाता है और जो मित्र माना जाता है वह शत्रु निकल जाता है। व्यवहार की भूमिका में भी इसकी खोज हुई है। इसकी कुछ कसौटियां भी लौकिक स्तर पर निर्धारित की गई हैं। वे कसौटियां ये हैं ददाति प्रतिगृण्हाति, गुह्यमाख्यति पृच्छति । भुंक्ते भोजयते चैव, षड्विधं मित्रक्षलणम् ।। १. २. जो देता भी है और लेता भी है। ३. ४. जो मित्र को गुप्त बात बताता भी है और उसकी गुप्त बात पूछता भी है। ५. ६. जो मित्र के घर खाता भी है और मित्र को खिलाता भी है। व्यवहार में मित्र की पहचान इन ६ बातों से होती है। मित्र वह है जो केवल लेता ही नहीं, देता भी है। वह अपनी मन की बात किसी को नहीं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003112
Book TitleSoya Man Jag Jaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy