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सोया मन जग जाए
करते हैं।
प्रतिक्रिया स्वयं नशा है, शराब है। प्रतिक्रिया क्रोध को, अहंकार को, घृणा को. ईर्ष्या को जन्म देती है। ये सारे शराब के नशे जैसे ही हैं। इनसे प्रतिक्रिया को बढ़ावा मिलता है। यह प्रमाद है। अप्रमाद का जीवन है प्रतिक्रिया-विरति का जीवन।
निषेधात्मक दृष्टिकोण से भी प्राण शक्ति का अत्यधिक व्यय होता है। नकारात्मक दृष्टिकोण के उपजीवी हैं निराशा और हीन भावना। व्यक्ति सदा निषेध की भाषा में सोचता है। विधायक भाव आते ही नहीं, यदि आते हैं तो बहुत अल्प। इस नकारात्मक भाव से जीवनीशक्ति बहुत खर्च होती है।
प्रेक्षाध्यान के प्रयोग का अर्थ है निषेधात्मक भाव से बचना यानि शत्रुता के भाव से बचकर मित्रता के भाव को अपनाना। मैत्री का विकास होने पर दृष्टिकोण रचनात्मक हो जाता है। मैत्री का अर्थ केवल दूसरों के साथ मित्रता का संबंध स्थापित करना ही नहीं है, किन्तु रचनात्मक दृष्टिकोण बनाना, यह मैत्री का महत्त्वपूर्ण अंग है।
भावक्रिया शक्ति के क्षरण को रोकती है। यह साधना का महत्त्वपूर्ण अंग है। भावक्रिया का अर्थ है. शरीर, वाणी और मन को एक साथ मिला देना। उनका अलग-अलग होना द्रव्यक्रिया है, जड़ क्रिया है। भोजन करते समय या उपासना करते समय मन कहीं अन्यत्र चक्कर लगाता है तो वह क्रिया जड़ क्रिया है, भावक्रिया नहीं है। जो व्यक्ति भोजन करते समय शरीर, वाणी और मन से भोजन की क्रिया में संयुक्त रहता है तो वह भोजन सजीव भोजन है, अन्यथा वह भोजन मृत भोजन बन जाता है। आयुर्वेद के महान् आचार्य चरक ने कहा खाते समय खाने में ही मन लगा रहे। वह अन्यत्र न जाए। मन, वचन और शरीर—तीनों एक ही क्रिया में संयुक्त रहें। ऐसी क्रिया जीवित क्रिया होती है और जो अजानकारी में की जाती है, तीनों की अलग-अलग क्रियाएं होती हैं तो वह मृत क्रिया होती है। भावक्रिया का प्रयोग मस्तिष्क की शक्ति को जगाने का महत्वपूर्ण प्रयोग है। हम इस प्रयोग से ज्ञानतंतुओं को इतना विकसित कर देते हैं कि वे हमारी बात मानने लग जाते हैं, हमारे आदेश का पालन करने लग जाते हैं।
पहले की बात है। मैं बीमार हो गया। प्राकृतिक चिकित्सा करवाई। चिकित्सक ने कहा यदि कब्ज महसूस हो तो आंतों को आदेश दो कि वे मल का विसर्जन पूरे रूप में करें, शुद्धि करें। मुझे इस कथन का संदेह हुआ। मन में आया कि आदेश कौन मानेगा? बच्चा तो है नहीं आंत कि वह आदेश मान ले। बेचारी जड़ आंतें आदेश को क्या समझेंगी? पर, मैंने यह विधि अपनाई और
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