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________________ 106 सोया मन जग जाए __ मादक द्रव्यों का सेवन भी उदासी लाता है। तम्बाकू, भांग, चरस, मदिरा—इसके सेवन से उदासी आती है। शरीर सारा शिथिल हो जाता है। यदि उदासी से बचना है तो मादक द्रव्यों का सेवन वर्जित करना होगा। उदासी से निपटने के लिए कुछेक उपायों की चर्चा की है। हम इस बात को पुनः हृदयंगम करें कि ध्यान की साधना का प्रयोजन केवल आनन्द या विश्राम की अनुभूति नहीं है। विश्राम या आनन्द की अनुभूति अन्यान्य साधनों से भी होती है। गर्मी से उत्तप्त पथिक को छायादार वृक्ष आनंद देता है। प्यासे को ठंडा पानी और भूखे को रोटी आनन्द देती है। थके हुए व्यक्ति को विश्राम-स्थल मिल जाए तो वह थकावट भूल जाता है। यह सारा पर-सापेक्ष या पदार्थ-सापेक्ष आनन्द है। ध्यान को हम पदार्थ-निरपेक्ष आनन्द देने वाला मान सकते हैं। पर उसका मुख्य प्रयोजन है, समस्याओं की गहराई में उतर कर उनका समाधान ढूंढ़ना। यह समाधान ढूंढने की प्रवृत्ति जैसे-जैसे बढ़ेगी वैसे-वैसे विचय ध्यान का अभ्यास दृढ़ होता जाएगा। इससे ध्यान का मूल्य भी बढ़ेगा और हम इस वैज्ञानिक युग में ध्यान की सार्थकता स्थापित कर पाएंगे। वैज्ञानिक तो सचाइयों को खोजता चला जाएगा और आदि धार्मिक वैसे ही बैठा रहा तो लोग विज्ञान को पूछेगे या धर्म को? पूजा विज्ञान की होगी या धर्म की? आज आवश्यकता है कि हम ध्यान की गहरी साधना के द्वारा नई-नई सचाइयों को खोजते चलें और उनका जीवन में उपयोग कर लाभान्वित हों। ऐसी स्थिति में है गर्म विज्ञान के साथ चल पाएगा, हम भी चल पाएंगे, ध्यान भी चल पाएगा। आप सब इस अनुभूति के साथ ध्यान की गहराइयों में जायें, ध्यान का यथार्थ मूल्यांकन करें तो दृष्टिकोण भी बदलेगा और ध्यान के प्रति सहज आकर्षण भी होगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003112
Book TitleSoya Man Jag Jaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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