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१३. समस्या है उदासी की
मानसिक अवस्थाएं दो प्रकार की होती हैं। एक मानसिक अवस्था है प्रफुल्लता की और दूसरी है उदासी की । एक खिला हुआ फूल और एक मुरझाया हुआ फूल । विकसित फूल सबको मनभाता है। मुरझाया हुआ फूल अच्छा नहीं लगता, बेचैनी पैदा कर देता है ।
प्रफुल्लता या प्रसन्नता बहुत महत्त्वपूर्ण है, किन्तु यह टिक नहीं पाती । समाज और परिवार का वातावरण तथा व्यक्ति का आन्तरिक वातावरण- ये तीनों ऐसे हैं जो प्रसन्नता को टिकने नहीं देते। व्यक्ति समस्याओं से घिर जाता है ।
हम सबसे पहले आन्तरिक वातावरण के विषय में कुछ सोचें, समझें । आन्तरिक वातावरण व्यक्ति व्यक्ति का निजी होता है । उसको प्रफुल्लित बनाए रखना बहुत कठिन काम है । व्यक्ति उदास होता है। इसका कारण है कि ग्रन्थियों के रसायन, स्राव संतुलित नहीं होते । उदासी अकारण आ जाती है । मस्तिष्क का एक रसायन है— जेराटोनिन । इसकी कमी या असंतुलन उदासी का कारण बनता है । थाइराइड ग्रन्थि का स्राव कम होता है, उदासी आ जाती है। ग्रन्थियों के असंतुलित स्राव के कारण उदासी उभरती है। मस्तिष्क में एक रसायन होता है— बीटा एन्डोरफिन, जो मनोभावों को प्रभावित करता है। जब वह रसायन पूरा नहीं बनता तब उदासी छा जाती है । तो रासायनिक असंतुलन, ग्रन्थियों का अस्राव—यह उदासी का आन्तरिक कारण है । निषेधात्मक दृष्टिकोण भी उदासी का आन्तरिक कारण है ।
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दूसरा है परिवार का वातावरण । यह भी उदासी का कारण बनता परिवार में नाना प्रकार के लोग हैं, नाना प्रकार की समस्याएं हैं। वे अनेक प्रकार की परिस्थितियां पैदा कर डालते हैं और व्यक्ति उदास हो जाता है । परिवार का सदस्य उदासी से घिर जाता है । उसकी प्रसन्नता गायब हो जाती है। पारिवारिक और घेरलु स्थितियां जो मन के अनुकूल नहीं होतीं, वे उदासी का हेतु बनती हैं। परिवार में बेटा और बहू—–— दोनों प्रसन्न रहने वाले हैं। किन्तु परिवार के अन्यान्य सदस्य उन दोनों को निरन्तर टोकते हैं, कमी दिखाते रहते हैं, ताना कसते हैं तो दोनों उदास हो जाते हैं। उनकी प्रसन्नता खिन्नता में बदल जाती है । पारिवारिक वातावरण भी उदासी का मुख्य हेतु है ।
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