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स्वास्थ्य और प्रसन्नता | २५९
जहां का तहां रहा तो सचमुच एक प्रश्नचिह्न खड़ा हो जाता है ।
साधना का अर्थ है-क्रमशः बदलना, बदलते चले जाना । साधना का मार्ग बदलने का मार्ग है, परिवर्तन का मार्ग है | किन्तु जो साधक वृत्तियों के केन्द्रों को नहीं जानता, वह बदलने में सक्षम नहीं होता | किस वृत्ति का कौन-सा केन्द्र है, यह जानना आवश्यक है | आज के वैज्ञानिकों ने हजारों केन्द्रों को खोज निकाला है । हमारे मस्तिष्क में हर्ष का केन्द्र कौन-सा है, विषाद और दुःख का केन्द्र कौन-सा है, काम-वासना और क्रोध का केन्द्र कौनसा है, वैज्ञानिकों ने इनकी खोज की है और इनको बदलने के उपायों की भी खोज की है | ऑपरेशन या औषधि के द्वारा उन केन्द्रों में परिवर्तन करने का सफल प्रयास किया है । यह बहुत बड़ी उपलब्धि है | आज का प्रत्येक प्रबुद्ध साधु-साध्वी समाज इसका उपयोग कर लाभान्वित हो सकता है । आज कोई भी आध्यात्मिक साधना वैज्ञानिकता से हटकर सफल नहीं हो सकती । आज के वैज्ञानिक साहित्य से इतना बड़ा सहयोग मिल सकता है कि साधना को नया आयाम दिया जा सकता है और असंभव बात संभव बनाई जा सकती
वैज्ञानिकों ने प्रयोग किया । बन्दर को चार केले दिए । केलों को देख बंदर का आकांक्षा-केन्द्र सक्रिय हो गया | वह खाने के लिए ललचा उठा। खाने के लिए केले को छीला । इतने में ही वैज्ञानिक ने उसके आकांक्षा केन्द्र पर इलेक्ट्रॉड लगा दिया । बंदर की खाने की आकांक्षा मिट गई । उसने केले को फेंक दिया । उसे अनुभव हुआ कि केला नहीं खाना चाहिए।
एक विशाल मैदान है । हजारों दर्शक खड़े हैं । एक व्यक्ति मैदान के बीच लाल झंड़ी लेकर खड़ा है । आयोजकों ने एक खूखार सांड़ को छोड़ा। सांड ने आदमी को देखा, लाल झंडी को देखा । उसका क्रोध बढ़ा और वह आदमी को मारने दौड़ा । लाल रंग की झंडी ने उसको और अधिक खूखार बना डाला । दर्शक सारे कांप उठे । उन्होंने सोचा- आदमी अब मरा, अब मरा । सांड आदमी के पास आया । आदमी ने उसके मस्तिष्क पर, क्रोध केन्द्र पर, इलेक्ट्रॉड लगाया । सांड का गुस्सा शांत हो गया। वह एक पालतू कुत्ते की तरह शांत खड़ा रह गया ।
यह कोई नयी बात नहीं है | तीर्थंकर के सामने शेर और बकरी एक
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