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चैतन्य-जागरण का अभियान | २३३ साध्वियां जयाचार्य के पास गयीं । गुलाबां की स्थिति बताई । जयाचार्य ने कहा—उसे यहां बुला लाओ । गुलाबां आयी । आचार्य ने पूछा-अरे ! इतनी देर वहीं बैठी रही ! आहार करने क्यों नहीं आयी ? उसने कहा—गुरुदेव ! आपने तो वहां बैठ जाने के लिए कहा था, आने के लिए तो कहा ही नहीं था । आपकी आज्ञा के बिना कैसे आती ?
यह है तेरापंथ में शरीर के ममत्व का विसर्जन ।
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