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जीवन क्या है ?
दुनिया में कुछ बातें अद्भुत हैं । प्राचीन काल से ही आश्चर्यों की लम्बी श्रृंखला हमारे सामने आती रही है । अनेक आश्चर्य माने जाते रहे हैं। वर्तमान की दुनिया में कुछ आश्चर्य माने जाते हैं । स्थानांगसूत्र में दस आश्चर्यों का निरूपण मिलता है | महाभारत में एक प्रसंग है—पूछा गया, 'किमाश्चर्यम्' प्रत्येक कार्य में मनुष्य आश्चर्य को खोजता रहा है । पर मुझे लगता है कि सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि आदमी जीवन जीता है, पर जीवन को जानता नहीं। जीना एक बात है और उसे जानना दूसरी बात है । हमारी दुनिया में दो तत्त्व हैं—एक जीवन का तत्त्व और दूसरा वह जिसमें जीवन का स्पंदन नहीं । यह स्पष्ट वर्गीकरण है । इसमें कोई मतभेद नहीं । एक जीवन तत्त्व और एक जीवनेतर तत्त्व | आत्मा के विषय में मतभेद हो सकता है । कुछ लोग आत्मवादी हैं तो कुछ अनात्मवादी । किन्तु जीवन के बारे में कोई मतभेद नहीं। बहुत स्पष्ट है । उसके बारे में कोई मतभेद हो नहीं सकता।
यह खंभा चलता नहीं, बोलता नहीं, इसलिए नहीं चलता और नहीं बोलता कि इसमें जीवन नहीं है । इसके पास ये पतंगे उड़ रहे हैं । ये खंभे की तुलना में बहुत छोटे हैं, पर जैसे चाहें उड़ सकते हैं | कभी नीचे और कभी ऊपर, क्योंकि इनमें जीवन है । ये दोनों तत्त्व हमारे सामने बहुत साफ हैं। फिर भी आश्चर्य की बात है कि हम जीवः के बारे में जानते नहीं । हमारा जीवन कैसे बना ? जीवन क्या है ? जीवन कैसे समाप्त होता है ? हजारों-हजारों खोजों के बाद भी ये प्रश्न आज भी उलझे हुए हैं । इनका अंतिम समाधान शायद मनुष्य को नहीं मिला और जिनको मिला, उनकी बात में हमारी शायद आस्था नहीं होगी और जिन्हें नहीं मिला वे बीच में अभी भी लटक रहे हैं।
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