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रूपान्तरण का प्रतिनिधि ऋषि
पूछो पूछो, अपने आप से पूछो, बार-बार पूछो। प्रश्न स्वयं समाहित होकर उत्तर में बदल जाएगा i
जरूरत है प्रश्न करने की, पूछने की। चोरों के मन में एक प्रश्न उठा – वह कौनसा कर्म है, जिससे हमारा भविष्य सुधरे। इस प्रश्न ने समाधान दे दिया और सबके सब चोर अचोर बन गए। जो क्रूर कर्म करने वाले थे, वे कपिल के निकट आ गए, उसके शिष्य बन गए। चोर चोर नहीं रहे । कला है अपने आपसे प्रश्न पूछना
प्रत्येक व्यक्ति को अपने आप से यह पूछना चाहिए - वह कौन - सा कर्म है, जिसके द्वारा मेरा भविष्य उज्ज्वल हो सकता है । वह कौन-सा कर्म है, जिससे निराशा को आशा में बदला जा सकता है, अधोगति को ऊर्ध्वगति में बदला जा सकता है । वह कौन-सा कर्म है, जिससे मृत्यु को अमरत्व में बदला जा सकता है ।
एक राजा के मन में भी यही प्रश्न उभरा। राज्य परम्परा थी— राजा को एक अवधि के पश्चात् राज्य को छोड़ देना होता। राज्य छोड़ने के बाद उसे जंगल में भगवान् भरोसे छोड़ दिया जाता। एक समय जो राजा है, वह अमुक समय के बाद गद्दी पर नहीं रह सकता, उस नगर में भी नहीं रह सकता। उसे जीवन का शेष समय जंगल में बिताना पड़ता । यह वहां की परम्परा थी। अनेक पीढ़ियों से यह परम्परा चल रही थी । प्रत्येक राजा उसे निभाए जा रहा था। एक राजा के मन में प्रश्न उभरा -अभी मैं सब कुछ हूं, सर्वेसर्वा हूं और वह समय भी आने वाला है जब मुझे जंगल में छोड़ दिया जाएगा, फिर क्या होगा? प्रकाश से अन्धकार की ओर जाना है, सुखद स्थिति से दुःखद स्थिति की ओर जाना है। क्या मैं इस क्रूर नियति को बदल नहीं सकता? वह कौन-सा कर्म है, जिससे मैं इस नियति को बदल सकूं। राजा के मन में यह प्रश्न जगा, वह इसकी गहराई में गया और उसे समाधान मिल गया ।
जिस जंगल में राजा को छोड़ा जाता था, राजा ने उसे अत्यन्त भव्य और आरामदेह बना दिया। उसने उस जंगल में सब - सुविधाओं से पूर्ण आलीशान महल बनवा लिया। वह राज्य से भुक्त हुआ और परम्परानुसार उस जंगल में चला गया किंतु अब वह जंगल-जंगल नहीं रहा, एक मनोरम, भव्य व चित्ताकर्षक स्थल बन गया। राजा को यह अनुभव ही नहीं हुआ कि वह राज्य से च्युत हुआ है।
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जो व्यक्ति वर्तमान में प्रश्न का मूल्य समझ लेता है वह भविष्य का निर्माण कर सकता है । राजा ने सचमुच अपने भविष्य का निर्माण कर लिया । वह बड़ी शांति के साथ जीवन जीने लगा ।
अपने आपसे प्रश्न पूछना एक कला है । इसको सीखना आवश्यक I प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन अपने आपसे यह प्रश्न पूछे- - वह कौन-सा कर्म है, जिससे जो भविष्य आज है उससे कल और अच्छा बन सके । प्रतिदिन यह प्रश्न पूछा जाए तो विकास का, नए निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
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