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लेश्या : भावधारा
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भावना का चमत्कार
राजलदेसर के एक भाई ने कहा-'महाराज! मेरा बारह साल का एक लड़का छह माह से बहुत बीमार है। मैं छह माह से इसका इलाज करा रहा हूं पर कुछ भी लाभ नहीं हुआ। चलना तो दूर की बात है, वह उठ भी नहीं सकता। प्रेक्षाध्यान के प्रशिक्षक ने उसे भावना का प्रयोग कराया, संकल्प-शक्ति का प्रयोग कराया। पांच-छह दिन के प्रयोग से ही लड़के के स्वास्थ्य में आश्चर्यजनक सुधार आ गया। जो लड़का उठ भी नहीं सकता था, वह आज राजलदेसर से चलकर आपके दर्शनार्थ लाडनूं पहुंच गया है।'
___यह है भावना का चमत्कार। बहुत गहरा है भावना का प्रयोग! हम जो सजेशन देते हैं, वे मन को नहीं, भाव को छूते हैं। जो मन के स्तर पर रहता है,वह कभी सफल नहीं हो सकता। हम मन के उस पार भावना के स्तर पर अपनी बात पहुंचा दें, एक दिन में परितर्वन घटित हो जाएगा। इसके लिए अपेक्षित है मनोविज्ञान के साथ साथ भावविज्ञान का गहरा अध्ययन। उत्तराध्ययन का चौतीसवां लेश्या अध्ययन भावविज्ञान का अध्ययन है। यदि हम इसका गहराई से विश्लेषण करें तो शायद एक भ्रांति-चक्र को तोड़कर गहरी सचाई तक पहुंच जाएंगे।
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