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कर्मवाद
जैन आगम - दोनों में प्राप्त है । गई - वंशानुक्रम विज्ञान |
जीन की वैज्ञानिक व्याख्या हमारा शरीर कोशिकाओं के द्वारा बना है। कोशिकाओं ने हमारे शरीर का निर्माण किया है। एक कोशिका, एक सेल कितना छोटा होता है! विज्ञान कहता है- एक पिन की नोक टिके इतने भाग में लाखों-लाखों कोशिकाएं हैं। इतनी छोटी कोशिका में जीवन - रस है । उस जीवन - रस में जीव - केन्द्र हैं। न्यूक्लीयस जीव- केन्द्र है। जीवकेन्द्र में क्रोमोसोम - गुणसूत्र हैं । उनमें जीन हैं, के संस्कार - सूत्र हैं। जीन में माता-पिता के संस्कार संचित है, अनेक पीढ़ियों संस्कार संचित हैं । वे जीन पैतृक संस्कारों के वाहक होते हैं। एक जीन, जो बहुत छोटा होता है, उस जीन - संस्कार सूत्र में छह लाख संस्कार लिखे हुए हैं 1
यह जीन की वैज्ञानिक व्याख्या है। जीन के पास पहुंचने पर कर्म की बात बहुत समझ में आ जाती है । संस्कार सूत्र हमारी परम्परा के वाहक हैं । मारवाड़ी का प्रसिद्ध दोहा हैं
बाप जिसो बेटो, छाली जिसो ठेठो ।
घड़े जिसी ठीकरी, मां जिसी डीकरी ।।
आज विज्ञान की एक पूरी शाखा बन
इस छोटे से श्लोक में वंशानुक्रम का पूरा विज्ञान भरा हुआ है। आज की चिकित्सा पद्धति में, आयुर्विज्ञान की चिकित्सा पद्धति में वंशानुक्रम विज्ञान का बड़ा महत्त्व है । आजकल डॉक्टर पूछते हैं - यह बीमारी आपके मां-बाप को तो नहीं है? आपके दादा और नाना, दादी और नानी इस बीमारी से ग्रस्त तो नहीं हैं? वे इससे आगे की हिस्ट्री भी जानते हैं। बिना इतिहास जाने रोग का सही निदान नहीं हो सकता। कोरे यंत्र से बीमारी का निदान नहीं होता, उसके लिए पूरे कुल के इतिहास को जानना होता है । यह बीमारी कब से आ रही है? मानसिक चिकित्सक भी वंशानुक्रम के आधार पर चिकित्सा करता है । वह यह जानेगा--जो पागलपन है, चित्त का विक्षेप है, डिप्रेशन है, वह परिवार के किसी सदस्य में रहा है या नहीं? माता-पिता, दादा-दादी या नाना-नानी इस रोग से पीड़ित रहे हैं या नहीं? माता-पिता के संस्कार संतान में संक्रांत होते है और वे अनेक पीढ़ियों तक चलते रहते है। हो सकता है-बीच की कोई पीढ़ी छूट भी जाए किन्तु वे आगे से आगे चलते चले जाते हैं 1
भेद का कारण है कर्म
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वंशानुक्रम भेद का कारण है। इसी आधार पर जीनेटिक इंजीनियरिंग का विकास हुआ है। आज के वैज्ञानिक इस खोज में लगे हुए हैं - प्रारम्भ से ही जीन को बदल दिया जाए, जिससे व्यक्ति बदल जाए। प्रश्न होता है-यदि भेद का कारण वंशानुक्रम है तो दो सगे भाइयों में भेद क्यों होता है? इस प्रश्न का समाधान वंशानुक्रम विज्ञान से उपलब्ध नहीं होता । इस प्रश्न के समाधान के लिए जीन से भी आगे जाना होगा, और सूक्ष्म की खोज में जाना होगा। जीन से आगे जाने पर पता चलता है—भेद करने वाला एक तत्त्व हमारे भीतर बैठा है। वह
जीन से भी ज्यादा सूक्ष्म है । वह है कर्म शरीर ।
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