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यह प्यास पानी से नहीं बुझती
स्थिति में बंधन कम होगा। वह प्यास बुझ जाएगी, जो अगस्त्य ऋषि बन तीन चुलू में समुद्र को पी जाने पर भी नहीं बुझती । वह प्यास ऐसी बुझेगी कि जीवन में अविरति, आकांक्षा और तृष्णा की प्यास कभी जागेगी ही नहीं। वह स्थिति वस्तुतः आत्मानुभूति से ओतप्रोत होगी। यह आत्मा की अनुभूति ही नेपोलियन के शब्दों में तलवार की ताकत को परास्त करने वाली अनुभूति है ।
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