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महावीर का पुनर्जन्म सम्यक बदलाव आता है तो मानना चाहिए कि सामायिक सध रही है। यदि नहीं आता है तो वह अवश्य चिन्तन का विषय बनता है। भेद-प्रणिधान : अभेद-प्राणिधान
कठिन है समता की साधना किन्तु यदि उस दिशा में आगे बढ़ पाएं तो संकल्प-विकल्प कमजोर पड़ते चले जाएंगे। जैसे ही पदार्थों का संकल्प-'यह मेरा है, यह मेरा है, यह मेरा है'-बंद होता है, समता घटित होने लगती है। दो प्रकार के प्रणिधान हैं-भेद-प्रणिधान और अभेद-प्रणिधान। आत्मा के साथ अभेद-प्रणिधान होना चाहिए और पदार्थ के साथ भेद-प्रणिधान। आज इससे विपरीत हो रहा है-आत्मा के साथ भेद-प्रणिधान हो रहा है और पदार्थ के साथ अभेद-प्रणिधान। जब अर्थ के साथ असंकल्प की भावना जागती है तब विषयों के प्रति त्याग की भावना होती है। कितना महत्त्वपूर्ण सच खोजा गया--प्यास तब बुझती है जब पदार्थ के प्रति असंकल्प की चेतना जागती है।
हमारे पास बहुत प्रकार की शक्तियां हैं। एक काम करने से शक्ति बढ़ती है और एक काम न करने से शक्ति बढ़ती है। न करने से शक्ति बढ़ने का नियम समझ में आ जाए तो जीवन में एक नया मोड़ आता है। आवेश करने से नहीं, अनावेश से समस्या सुझलती है। यह नियम समझ में आए तो एक भूल कभी दूसरी भूल का कारण नहीं बन सकती।
सूफी संत इब्राहीम जा रहे थे। संत के साथ असंत की छाया न लगे, यह दुनिया में बहुत कम होता है। संत के साथ अच्छाइयां घूमती हैं तो साथ साथ असंत भी बहुत घूमते हैं। संत इब्राहीम का विरोधी उसके पीछे चलने लगा। कुछ आगे जाकर एक वृक्ष पर चढ़ गया। संत वृक्ष के नीचे से गुजरे। उसने संत के सिर पर थूक दिया। संत इब्राहीम बहुत शक्तिशाली थे। उनके बहुत भक्त थे। राजसी ठाटबाट उनके साथ चलता था। संत की सुरक्षा में लगे लोग तमतमा उठे। वे उसे पकड़ने/मारने के लिए दौड़े। संत इब्राहीम ने कहा-'ठहरो! ठहरो सब रुक गए। संत ने रुमाल निकाला और थूक को पोंछ डाला। संत ने मुस्कराते हुए कहा-इतना व्यर्थ प्रयत्न क्यों? उसने जो भूल की है, उसे रुमाल से साफ किया जा सकता है। पर उसे मारकर तुम जो भूल करोगे, उसे कौन साफ करेगा? ऐसा कोई रुमाल नहीं है, जो उस भूल को साफ कर सके।'
___ यह भावना उस व्यक्ति में जागती है जो सचाई को खोज लेता है। असत्य के सहारे दुनिया में बहुत सारे काम चलते हैं। बहुत सारे लोग इस भाषा में सोचते हैं-उसने ऐसा कर दिया इसलिए उसे सबक सिखाओ। जिन्होंने ऐसी मांग की है, उसे कुचल डालो। वे इस नियम/सचाई को नहीं जानते-थूक को एक मिनट में साफ किया जा सकता है पर जिसने थूक डाला है, उसे मारने पर जो धब्बा लगेगा, उसे जीवन भर साफ नहीं किया जा सकेगा। यह नियम वही व्यक्ति खोज सकता है, जिसने समता का जीवन जीया है, समता को आत्मसात् किया है। जैसे जैसे समता जागेगी, संकल्प-विकल्प कम होते चले जाएंगे। उस
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