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यह प्यास पानी से नहीं बुझती
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पानी को खोजा, उसने भी एक सचाई की खोज की। यदि ऐसा न होता तो प्यास लगने पर सब आदमी पानी कैसे पीते? पानी की जगह मिट्टी खा लेते तो क्या होता? पानी को भी खोजा गया। दुनिया में एक ऐसा द्रव्य है, जो प्यास को बुझाता है, और वह है पानी। एक बड़ी खोज थी। किस व्यक्ति ने पहले दिन पानी पीया होगा? किस व्यक्ति को पहले दिन प्यास लगी होगी? यह बड़ा प्रश्न है—'क्या आदमी पानी पीता ही आया है? या उसने बाद में पानी पीना शुरू किया है? आज भी ऐसे प्राणी हैं, जो पानी कभी नहीं पीते, महीनों तक पानी नहीं पीते। जिनका शीतीकरण हो जाता है, उन्हें प्यास नहीं लगती। जो मेंढ़क बर्फ में जम जाते हैं वे पानी कहां पीते हैं। जो शीत प्रधान देश के प्राणी हैं, वे अनेक दिनों तक शायद पानी नहीं पीते। कहा जाता है सर्दी के दिनों में सांप अपने बिल में चला जाता है। वह वहीं बैठा रहता है,न खाता है, न पीता है। उसकी आवश्यकता अपने आप पूरी हो जाती है। चातक केवल मेघ का ही पानी पीता है। बादल नहीं बरसते हैं तो वह पानी ही नहीं पीता। संभव है-कभी ऐसा स्निग्ध काल रहा होगा कि पानी पीने की जरूरत अनुभव न हुई हो। जब काल की स्निग्धता कम हुई, गर्मी बढ़ी, प्यास लगनी शुरू हुई तब किसी मनुष्य ने पहली बार पानी को खोजा होगा, पानी को पीया होगा। यह पानी की खोज महान खोज है।'
इस सचाई को भी खोजा गया-प्यास लगने पर पानी पीयो तो वह बढ़ती चली जाएगी, न पीयो तो वह बुझ जाएगी। यह सचाई भी महान सत्य की खोज है। धर्म के लोगों ने इस नियम को खोजा है-एक ऐसी प्यास है, जो पानी पीने से बढ़ती है और नहीं पीने से घट जाती है। प्यास प्रत्येक आदमी के भीतर है। उसे समझना भी जरूरी है। दो ताकतें
नेपोलियन बहुत बड़ा शासक था, वीर और क्रूर भी था। जब सेना ने धोखा दिया, वह पराजित हो गया। पराजित नेपोलियन को सेंट हेलोना द्वीप में कैद कर दिया गया। कल जो शासक था, आज वह बंदी बना हुआ था पर यह मानने में कोई कठिनाई नहीं है कि वह वास्तव में अद्भुत व्यक्ति था। जितना योद्धा और पराक्रमी था उतना ही समझदार और चिन्तनशील था। उसने जेल से अपने मित्र को एक पत्र लिखा। उस पत्र में उसकी चिन्तनशीलता स्पष्ट परिलक्षित है। उसने लिखा-मित्र! दुनिया में दो ताकतें होती हैं। एक है तलवार की ताकत और दूसरी है आत्मा की ताकत। तलवार की ताकत से साम्राज्य मिलता है, धन और वैभव मिलता है पर अंत में वह दशा होती है, जो आज मेरी हुई है। इस ताकत में कोई सार नहीं है। आत्मा की ताकत ऐसी ताकत है, जो तलवार की ताकत को भी परास्त कर सकती है। इसके सिवाय तलवार की ताकत को परास्त करने वाली कोई भी ताकत नहीं है। वहीं ताकत वास्तव में सारभूत शक्ति है।
हम इस बात को समझें। हमारे भीतर मस्तिष्क में एक रण चल रहा है। चेतना की रणभूमि पर वह युद्ध लड़ा जा रहा है। हमें चुनाव करना है-हम Jain Education International For Private & Personal Use Only
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