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महावीर का पुनर्जन्म
राग को जीतने की चाबियां बहुत हैं पर समस्या है-आदमी को राग चाहिए, विराग नहीं । उसे संसार की यात्रा करनी हैं, जीवन चलाना है इसलिए उसे राग बहुत प्रिय है । यदि प्रतिदिन विराग की बात आने लग जाए तो आदमी उकता जाए। वह कहेगा - यह क्या धंधा है? टी.वी. पर प्रतिदिन रागात्मक दृश्य दिखाए जाते हैं । कोई नहीं कहेगा- यह क्या धंधा है? प्रत्येक बच्चा जानता है टी.वी. प्रोग्राम्स के बारे में। वह उसे प्रिय लगता है क्योंकि वह राग से बंधा हुआ है। जिसमें राग प्रबल है, उसे विराग की बात अच्छी नहीं लगती। वैराग्य की बात अच्छी नहीं लगे तो आश्चर्य भी नहीं होना चाहिए। यह स्वाभाविक बात है पर उस राग पर भी नियंत्रण किया जा सकता है। उसकी पहली चाबी है- ऊर्ध्व दर्शन ।
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हम ऊर्ध्व दर्शन - परम दर्शन करें। उसके लिए एक वातावरण भी बनाएं। वह वातावरण तब बन सकता है जब मौन करें, कम खाएं। न खाएं, यह संभव नहीं है, पर कम खाएं, यह अवश्य संभव है। हम कम खाने की आदत डालें। यह भी एक चाबी है। जिस व्यक्ति ने कम खाना सीख लिया, ऊनोदरी करना सीख लिया, उसने जीवन की बहुत समस्याओं से मुक्ति का सूत्र सीख लिया । जिसे रोगों को निमंत्रण देना है, जल्दी बुढ़ापा लाना है, अकाल मौत से मरना है, उसे खूब डटकर खाना चाहिए। ज्यादा खाना, ज्यादा मात्रा में खाना, बार-बार खाना स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना है, मन के साथ खिलवाड़ करना है, राग को प्रोत्साहन देना है। कम खाना, ऊनोदरी करना राग को कमजोर बनाने वाली कुंजी है ।
चाबी है इन्द्रिय-निग्रह
राग को कम करने की एक चाबी है— दमितेन्द्रिय होना । आजकल लोग दमन शब्द से बहुत घबराते हैं । इस पर बहुत आक्षेप और प्रहार किए गए— दमन नहीं करना चाहिए। वस्तुतः दमन का अर्थ कोई बुरा नहीं है । उसका अर्थ है निग्रह करना । इन्द्रियों का निग्रह जरूरी है राग को जीतने के लिए। वह तभी संभव है जब इन्द्रियों पर अंकुश और नियंत्रण हो । अगर हाथी पर चढ़ना है तो अंकुश के बिना काम नहीं चलेगा। अगर घोड़े पर चढ़ना है तो लगाम के बिना काम नहीं चलेगा। यदि मोटर या कार पर चढ़ना है तो ब्रेक के बिना काम नहीं चलेगा। यदि ब्रेक फेल हो जाए तो कैसी स्थिति बनती है? एक भाई ने बताया- कार चल रही थी। अचानक ब्रेक फेल हो गया। कार पर नियंत्रण नहीं रहा। यात्री घबराए। कार पास ही एक गड्ढे में जा गिरी। अनेक व्यक्तियों के चोटें लगीं, अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। मोटर के लिए ब्रेक जरूरी है । हाथी के लिए अंकुश और घोड़े के लिए लगाम जरूरी है। क्या जीवन में नियंत्रण जरूरी नहीं है। क्या इन्द्रियों का निग्रह करना जरूरी नहीं है? जिस व्यक्ति ने इस सचाई को नहीं समझा वह कभी सफल नहीं हो सकता। जीवन की सफलता के लिए हम इन्द्रियों पर ब्रेक लगाएं, उन्हें खुला न छोड़ें। यह नहीं कि उनसे काम न लें पर जहां जरूरी हो वहां ब्रेक भी लगाएं।
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