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महावीर का पुनर्जन्म
आत्मा सारे शरीर में व्याप्त है किन्तु शरीर में भी वह कहां है, इस प्रश्न को समझना है। चमड़ी में आत्मा नहीं है, खून में आत्मा नहीं है। हमारे शरीर में सात धातुएं हैं। रक्त, रस, मज्जा, मांस, चर्बी, शुक्र और हड्डी–इनमें से किसी में भी आत्मा नहीं है। आत्मा केवल नाड़ीतंत्र में है। जहां-जहां नाड़ीतंत्र है, वहां-वहां चेतना का अधिष्ठान है, आत्मा है। केवल नाड़ीतंत्र में ही आत्मा का निवास है। सारी चेतना नाड़ीतंत्र में है। जहां नाड़ियां फैली हुई हैं वहां चेतना की अनुभूतिया है। नाड़ीतंत्र पूरे शरीर में फैला हुआ है इसलिए आत्मा भी पूरे शरीर में फैली हुई है। हमारे पैर में कांटा चुभता है, सूई चुभती है और कष्ट का अनुभव होता है। प्रश्न है-ऐसा क्यों होता है? क्या मांस को कष्ट का अनुभव होता है? अगर नाड़ीतंत्र का स्पर्श नहीं है तो काटा चुभने पर भी कोई कष्ट का अनुभव नहीं होगा। सारी अनुभूति नाड़ीतंत्र के द्वारा हो रही है और उससे आत्मा जुड़ी हुई है। आत्मा की खोज : सबसे बड़ी खोज
___ शरीर में नाड़ीतंत्र का स्थान बहुत थोड़ा है। फैलाव चर्बी का है। जितनी ज्यादा चर्बी है उतना ही ज्यादा आदमी का फैलाव है। जितना मांस होता है, उतना आदमी फैल जाता है। हड्डियों का ढांचा बना, व्यक्ति फैल गया। हम यह देखें-हमारे भीतर पोल कितनी है। यदि हम अपने मुंह को खोलकर भीतर देखेंगे तो सारी पोल ही पोल दिखाई देगी। शरीर का ठोस भाग बहुत थोड़ा है। सारा फैलाव है। आत्मा का स्थान तो बहुत कम है और जो है, वह भी अदृश्य है, अमूर्त है। उसे पकड़ना बहुत मुश्किल है।
आत्मा की खोज, मोक्ष की खोज दुनिया की सबसे बड़ी खोज है। जिसने आत्मा को खोज लिया, मोक्ष को खोज लिया, उसने चेतना को खोज लिया, जानने वाले को खोज लिया, ज्ञाता को खोज लिया। जब इस खोज की दिशा का उद्घाटन होता है, तब व्यक्ति संसार में नहीं रहता, वह इस नकली जीवन में नहीं रहता, असली जीवन में चला जाता है।
एक लड़के को गंभीर स्थिति में हास्पिटल में भर्ती कराया गया। डॉक्टर का इलाज शुरू हुआ। मां ने पूछा-'स्थिति क्या है? 'डाक्टर बोला-'आक्सीजन दी जा रही है।' मा ने पूछा-'ऑक्सीजन........?' डॉक्टर ने सीधी भाषा में कहा-'उसे नकली सांस दी जा रही है।' मा बोली-'मेरे लड़के को नकली सांस क्यों? मेरे पास पैसों की कमी नहीं है। आप उसे असली सांस दीजिए।'
__ डॉक्टर असली सांस नहीं दे सकता। वह व्यक्ति के अपने पास है। हम अपने आपको भूल गए हैं, अपनी सांस को भूल गए हैं। जिस दिन अपनी सांस वाली बात समझ में आएगी, व्यक्ति विदेश में नहीं रहेगा, वह अपने देश-मोक्ष में लौट आएगा। जिस दिन यह अपने देश-मोक्ष में जाने की बात समझ में आएगी, उस दिन जीवन जीने का रहस्य समझ में आ जाएगा।
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