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अंतरंग योग
अंतरंग योग है अहंकार और ममकार का विसर्जन। सेवा और प्रायश्चित्त-ये अहंकार और ममकार विर्सजन के प्रयोग हैं। जब तक अहंकार नहीं टूटता, आदमी विनम्र नहीं हो सकता। गुरुस्थानीय व्यक्ति को हाथ जोड़ना, उसके सामने जाना, उसे सम्मान देना-यह लोकोपचार विनय है। प्रश्न होता है-इसे अंतरंग कैसे माना गया? उत्तराध्ययन में अभ्युत्थान को अंतरंग माना गया है। स्थानांग सूत्र में इसे लोकोपचार कहा गया है। क्या लोकोपचार के पीछे अंतरंगता नहीं होती? लोकोपचार के पीछे छिपी होती हैं अंतरंगता। इस लोकोपचार की पृष्ठभूमि में अहंकार का विसर्जन है।
अंतरंग योग का अर्थ है-कषाय का विसर्जन। जैन साधना पद्धति में कषाय के विसर्जन को अंतरंग योग माना गया। एक प्रकार से वह साधक का साध्य होता है। उसके उपचारों और प्रयोगों को बहिरंग योग माना गया । बहिरंग और अंतरंग कितना सापेक्ष है! जिसमें अहंकार प्रबल है वह कभी प्रायश्चित्त नहीं कर सकता। आदमी सामाजिक कसौटियों के साथ जीता है। वह सामाजिक मूल्यों और मानदंडों के आधार पर अपना व्यवहार निर्धारित करता है। उसमें अहंकार और माया का होना सहज सम्भव है। इनको छोड़कर अन्तर्जगत् में जाना उसके
ए बहुत कठिन होता है। व्यक्ति सोचता है-जब समाज में जीना है, समाज में रहना है तब समाज को जैसा जीना अच्छा लगे वैसा जीना ही सार्थक है। व्यक्ति भीतर में कितना ही अच्छा है, किन्तु समाज की दृष्टि में वह अच्छा नहीं है तो उसे लोग अच्छा नहीं मानेंगे।
__लौकिक जगत अथवा समाज के जगत से बिलकुल अलग है अंतरंग जगत। अंतरंग जगत में व्यक्ति अपने अध्यवसाय के साथ जीता है। एक व्यक्ति मन में किसी की हत्या का षड्यंत्र बना रहा है, समाज उसे कुछ नहीं कहेगा। वह हाथ में बंदूक थाम लेता है तो भी समाज कुछ नहीं कहता। यदि उसने गोली चला दी तो वह समाज की दृष्टि में अपराधी माना जाएगा। उसने गोली चलाई किन्तु कोई मरा नहीं, इस स्थिति में कानून उसे बचा देगा। बाहरी जगत में कानून से बच सकता है। अंतरंग जगत में उसका कोई हस्तक्षेप नहीं होता। जरूरी है समन्वय
अध्यवसाय का जगत अंतरंग जगत है। सारी घटनाएं और प्रवृत्तियां बहिरंग जगत है। धर्म का केन्द्र-बिन्दु है अध्यवसाय। समाज और कानून का केन्द्र-बिन्दु है घटना या प्रवृत्ति। धर्म, समाज तथा कानून की भिन्न-भिन्न दिशाएं
हैं। इन दोनों में संबंध खोजना बहुत मुश्किल है। समाज या कानून का व्यक्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only
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