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महावीर का पुनर्जन्म
सकता है? वह ऐसा नहीं कर पाएगा क्योंकि वह कार के नियम को जानता नहीं
ग्रामीण किसान कार्यवश शहर गया। रात्रि विश्राम के लिए एक होटल में ठहरा। रात गहराने लगी। सोने का समय हो गया। किसान ने सोचा-रात भर दीया जलता रहे, यह अच्छा नहीं है। वह बल्ब के पास गया और फूंक मारी। दिया बुझा नहीं। उसने दूसरी बार कुछ जोर से फूंक मारी फिर भी दीया जलता रहा। होटल का बैरा यह सब देख रहा था। उसने पूछा-'भाई साहब! क्या कर रहे हैं?'
___'दीया बुझा रहा हूं पर बुझता ही नहीं है। शहर के दीये बड़े जिद्दी हो जाते हैं। गांव का दीया एक बार फूंक मारते ही बुझ जाता है पर यह दीया इतनी बार तेज फूंक मारने पर भी नहीं बुझा'-ग्रामीण किसान ने निराशा भरे स्वर में कहा।
__ होटल का बैरा स्विच बटन के पास गया। बटन को दबाते हुए उसने कहा-'महाशय! यह दीया फूंक मारने से नहीं, बटन दबाने से बुझता है।'
नियम को जानने वाला एक क्षण में बल्ब बुझा देता है। जो बल्ब को दीया समझकर फूंक मारता रहता है, वह उसे कभी बुझा नहीं सकता। नियम का बोध
समस्या के समाधान का पहला चरण है-सत्य की खोज, नियम की खोज। जिसे सत्य के नियम का ज्ञान नहीं है, वह समस्या का समाधान नहीं कर सकता। व्यक्ति बीमार हो गया। बीमारी को कैसे मिटाया जाए? बीमारी को मिटाने से पहले यह जानना होता है-बीमारी क्या है? उसके लिए डाक्टर को बुलाया जाता है। कोई भी व्यक्ति अपनी बीमारी के लिए स्वास्थ्य मंत्री को नहीं बुलाता। स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर से ज्यादा शक्तिशाली हो सकता है पर बीमारी के नियम का ज्ञान उसे हो, यह जरूरी नहीं है। किसी हॉस्पिटल का उद्घाटन कराना है तो स्वास्थ्य मंत्री को बुलाया जाता है पर किसी बीमार की चिकित्सा के लिए डॉक्टर को बुलाना पड़ता है। मंत्री के दिमाग में तो किसी के उद्घाटन की बात ही घूम सकती है और वह उसका स्नायूगत संस्कार जैसा बन जाता है।
किसी विवाह समारोह में मंत्री महोदय को आमंत्रित किया। विवाह का आयोजन लंबे समय तक चलता रहा। मंत्री महोदय को झपकियां आने लगी। संयोजक ने कहा-'अब मंत्री महोदय वर-वधु को आर्शीवाद देंगे।' मंत्री हड़बड़ाकर उठे। उन्होंने कहा-'कैंची लाइए।' पास ही खड़े लोग यह सुनकर अवाक रह गए। उन्होंने कहा-'मंत्री महोदय! यह उद्घाटन समारोह नहीं है। विवाह का प्रसंग है। आपको वर-वधु को आर्शीवाद देना है।'
जो व्यक्ति जिस कार्य के नियम को जानता है, वही उसके लिए प्रयोजनीय बनता है। हम इस बात से अभिज्ञ हैं कि कौन व्यक्ति किस नियम को जानता है। हम उस काम के लिए, उस काम में आने वाली समस्या को सुलझाने के लिए उसी व्यक्ति को बुलाते हैं, जो उसके नियम को जानता है। यह है समस्या के समाधान का पहला सूत्र-नियम का बोध ।
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