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खोए सो पाए
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राजा को इस चिन्तन ने दर्द से भर दिया। राजा का अहं फुफकार उठा। वह बोला-'आप घट हैं तो मैं मुद्गर हूं।'
विद्वान् त्यागी था। उसे राजा का दर्द कैसे सहन होता? पंडित ने तत्काल जबाब दिया- 'आप मुद्गर हैं तो मैं आग हूं। आग मुद्गर को शीध्र ही जला देती है।'
राजा बोला-'आप आग हैं तो मैं मेघ हूं।' जब बादल बरसता है, आग बुझ जाती है। 'आप मेघ हैं तो मैं पवन हूं।' जब हवा चलती है, पानी से भरे सघन बादल भी बिखर जाते हैं।
राजा यह सुन अवाक रह गया। संवाद आगे चला। उसका समापन इस प्रकार हुआ। राजा बोला- 'मैं चंद्रमा हूं।'
'आप चन्द्रमा है तो मैं राहु हूं।' राहु चंद्रमा को ग्रस जाता है। आप राहु हैं तो मैं दानी हूं। दान दूंगा, राहु का दोष मिटा दूंगा। पंडित ने दोनों हाथ बगल में दबाते हुए कहा- 'मैं संतोष हूं।'
राजा मौन हो गया। अब क्या उत्तर दे। जहां संतोष है, वहां दूसरी शक्तियां कमजोर हो जाती हैं। यह त्याग की शक्ति, संतोष की शक्ति कभी हारती नहीं है। जहां त्याग की शक्ति है, छोड़ने की शक्ति है, कुछ लेना देना नहीं है वहां सारी शक्तियां समाप्त हो जाती हैं। भोगी को हर कोई परास्त कर सकता है। कितना डरना पड़ता है एक भोगी को। हम प्रशासन की छोटी से छोटी ईकाई को लें। एक बड़ा सेठ भी नगरपालिका के कर्मचारियों से डरता है, तहसीलदार और थानेदार से डरता है, कलक्टर और एस. पी. से डरता है। ऊपर से नीचे तक भय ही भय है। जिसमें त्याग की शक्ति जागृत है, उसे डराने की ताकत किसी में नहीं है। भयद्वार हैं आश्रवद्वार
गौतम ने महावीर से पूछा-'भंते! जीव प्रत्याख्यान से क्या प्राप्त करता है?'
महावीर ने कहा-'गौतम! प्रत्याख्यान से जीव आश्रवद्वारों का निरोध कर देता है।'
आश्रवद्वारों को रोकने का अर्थ है-भय आने के दरवाजों को बंद कर देना। दुर्बलता के दरवाजों को बंद करने का सूत्र है प्रत्याख्यान चेतना की जागृति। जिसमें प्रत्याख्यान चेतना जाग जाती है वह अपने आपमें बहुत संतुष्ट
और आनंदमय जीवन जीता है। समस्या यह है-जितना भोग और संग्रह की शक्ति में विश्वास है उतना त्याग और प्रत्याख्यान की शक्ति में नहीं है इसीलिए व्यक्ति दुर्बल बनता जा रहा है। आज चारों ओर भय का वातावरण है। आज भय से उत्पन्न होने वाली बीमारियां भी बहुत बढ़ गई हैं। हृदय की दुर्बलता, मानसिक दुर्बलता, अवसाद (डिप्रेशन) ये सारी भयजनित बीमारियां हैं। वर्तमान युग इससे बहुत आक्रांत है। व्यक्ति का मन इतना दुर्बल बन गया है कि वह
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