________________
४०८
महावीर का पुनर्जन्म
छोड़ने की शक्ति को, अस्वीकार की शक्ति को अपना नहीं पा रहा है। जब तक वह इसे नहीं अपनाएगा, समस्या से मुक्ति नहीं मिलेगी। क्या छोड़ें?
__व्यक्ति सब कुछ छोड़ दे, यह अति-कल्पना है। इसे संभव भी नहीं माना जा सकता। प्रत्येक व्यक्ति के सामने यह प्रश्न है-वह क्या छोड़े? भगवान महावीर की भाषा में इसके कुछ सूत्र ये हैं
1 आलस्य का प्रत्याख्यान 2 चंचलता का प्रत्याख्यान
साहाय्य का प्रत्याख्यान 4 कषाय का प्रत्याख्यान 5 आहार का प्रत्याख्यान ।
प्रगति की पहली बाधा है आलस्य। हम स्वयं सोचें-चौबीस घंटे में कितना समय निकम्मी बातों में जाता है और कितना सार्थक बीतता है। हंसी, मजाक और मनोरंजन में ही सारा समय व्यय हो जाता है या अपने विकास में भी समय का नियोजन करते हैं। जब तक आलस्य और विकथा का परित्याग नहीं होता तब तक अच्छी चेतना जागती नहीं है। जीवन में गंभीरता और बडप्पन नहीं आ पाता। आलस्य का जीवन जीने वाले कभी महान नहीं बन पाते। वे सदा छोटे बने रहते है। ताड़ना सहना, किसी के नियंत्रण में रहना उनकी नियति बन जाती है।
दूसरी बात है चंचलता का प्रत्याख्यान। चंचलता को छोड़ना भी सीखना चाहिए। चंचलता को एक सीमा तक ही उचित माना जा सकता है। एक छोटा बच्चा चंचल होता है। यदि वह बीस-पचीस वर्ष का हो जाए और चंचलता में
पाए तो उसके लिए यह हितकर नहीं होता। यदि वह बचपन जैसा युवा और प्रौढ़ अवस्था में चंचल रहता है तो उसे उसका बचकानापन ही मानना चाहिए। चंचलता को छोड़े बिना विकास के सोपानों को नहीं छुआ जा सकता।
___कषाय को कम करना, छोड़ना जीवन की शांति और पवित्रता के लिए बहुत आवश्यक है। कषाय को त्यागे बिना शांति मिलती नहीं है। जो मानसिक अशांति की समस्या से ग्रस्त हैं, उनके लिए कषाय का परित्याग एक समाधान बन सकता है। यदि व्यक्ति आधा घंटा कायोत्सर्ग करे, दीर्घश्वास और समवृत्ति श्वासप्रेक्षा करे तो कषाय की उत्तेजना विलीन हो जाए, मन की शान्ति उपलब्ध हो जाए।
प्रत्येक व्यक्ति स्वास्थ्य चाहता है। स्वास्थ्य का संबंध खान-पान से है। यदि आहार परित्याग का विवेक जाग जाए तो शारीरिक, मानसिक और भावात्मक स्वास्थ्य की कुंजी मिल जाए। आहार का संयम कितना कठिन है! स्वादिष्ट वस्तु सामने आ जाए, मनोज्ञ और मनोरम वस्तु सामने आ जाए तो क्या व्यक्ति कम खाएगा? इस स्थिति में 'खोए तो पाए' की बात विस्मृत हो जाती है। यदि यह तत्त्व स्मृति में रहे तो मनुष्य खाकर कभी बीमार नहीं हो सकता। प्रश्न हो सकता है-आहार का प्रत्याख्यान क्यों करें? जिसे मन से श्रेष्ठ कार्य करना है,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org