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महावीर का पुनर्जन्म जा रहा है। ओजोन को इससे भी एक नया खतरा पैदा हो रहा है। यदि ओजोन की छतरी का खतरा इसी रफ्तार से बढ़ता रहा और छतरी में छेद बहुत बढ़ गया तो पृथ्वी की स्थिति बहुत भयवाह हो जाएगी।
भगवती सूत्र में पांचवें आरे का जो वर्णन मिलता है, उसमें कहा गया है-पांचवें आरे की समाप्ति पर यह पृथ्वी गर्म अंगारे जैसी बन जाएगी। इस पर कोई आदमी रह नहीं सकेगा, केवल थोड़े लोग बचेंगे और वे लोग भी गुफाओं में रहेंगे। दिन में बाहर निकल नहीं सकेंगे और रात में भी बाहर निकलना आसान नहीं होगा। वे लोग जैसे-तैसे अपना काम चलाएंगे। आज वही स्थिति बनती जा रही है। पृथ्वी की सुरक्षा : जीवन की सुरक्षा
ओजोन की छतरी में छेद हुआ और खतरा पैदा हो गया। हम बहुत दूर आकाश की बात पर चले गए। धरती की बात करें। एक आदमी अपनी सुरक्षा के लिए व्रत स्वीकार करता है। व्रत और ओजोन की छतरी एक ही समान है। हम तुलना करें-पृथ्वी की सुरक्षा के लिए ओजोन की छतरी है और जीवन की सुरक्षा के लिए व्रत है। व्रत का अर्थ ही है छाता। संस्कृत की 'वृतु संवरणे' धातु से व्रत शब्द बना है। उसका अर्थ है ढांक देना, एक छाता लगा देना। व्रत के स्वीकरण का मतलब है-अपने पर ऐसी छतरी बना देना, जिससे पराबैंगनी किरणें ताप पैदा न कर सके। जिसके जीवन में व्रत नहीं होता, उसके जीवन में शरीर का ताप और भावना का ताप बना रहता है। वह संताप भोगता है, उसके जीवन में व्रत नहीं आता। जब आदमी यह महसूस करता है-जीवन में ताप न हो, ताप से मुझे बचना है, तब वह ओजोन की छतरी बना लेता है, अपने पर एक ऐसा छाता तान लेता है, जिससे वह पराबैंगनी किरणों के बाहरी प्रभाव से स्वयं को बचाता रहता है।
ओजोन की छतरी को खतरा पैदा होता है तो व्रत की छतरी को भी खतरा पैदा होता है और वह खतरा पैदा करता है व्यक्ति का अपना प्रमाद, अपना कषाय, अपनी अविरति और अपनी आकांक्षा। ये सारे इस छतरी को खतरा पैदा करते हैं और इसमें छेद हो जाता है। ओजोन की छतरी में अभी अमेरिका जितना बड़ा छेद हुआ है। छत की छतरी में भी कभी छोटा, कभी बड़ा और कभी अमेरिका जितना बड़ा छेद भी हो जाता है, कभी-कभी उससे बड़ा छेद भी हो जाता है। जैसे ही इस बात का पता चला-ओजोन की छतरी में छेद हो गया है। दुनिया भर में वैज्ञानिक इस चिंता में लग गए कि इस छेद को कैसे रोका जाए? कैसे भरा जाए? यदि हमें इस पृथ्वी पर जीना है, तो उस छेद को भरना होगा। यदि वह छेद नहीं भरा जाएगा, तो हमारा जीवन नहीं चलेगा। यह पृथ्वी प्राणीविहीन बन जाएगी। सारे वैज्ञानिक चौकन्ने हो गए। विश्व-भर में विनाश से बचने के उपाय खोजे जा रहे हैं। कैसे इन कारणों को मिटाया जाए? यह स्वर उभर रहा है-उन वस्तुओं के निर्माण को रोका जाए, जो ओजोन की छतरी में छेद पैदा कर रहे हैं। इसी प्रकार जब व्यक्ति को यह पता लगे कि व्रत
की छतरी मे छेद हो गया है तो उसे भी चौकन्ना हो जाना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only
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