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दर्शन नहीं तो कुछ भी नही
'तुम्हारी हथेली पर बाल क्यों नहीं हैं?”
'दान लेते लेते मेरी हथेली के बाल घिस गए ।'
'इन संभासदों की हथेली पर बाल क्यों नहीं हैं?"
'हुजूर! आप देते हैं और मैं लेता हूं। इनको कुछ भी नहीं मिलता। ये बेचारे हाथ मलते रहते हैं। इनके बाल हाथ मलते मलते घिस गए।' कषाय का अभाव : सम्यगदर्शन
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ऐसा लगता है - व्यक्ति के हाथ मलते-मलते घिस गए पर उसका दृष्टिकोण सम्यग नहीं बना । दृष्टिकोण का सम्यग होना तभी संभव है जब कषाय कम हो । नादंसणिस्स नाणं- दर्शन के बिना ज्ञान नहीं होता, इस सचाई को समझने से पहले इस सचाई को समझना होगा - णो कसायिस्स दंसणं- कषायी को सम्यग दर्शन उपलब्ध नहीं होता । जब तक अनंतानुबंधी कषाय को क्षीण नहीं कर पाएंगे तब सम्यग दर्शन की प्राप्ति दुर्लभ बनी रहेगी। इसका अर्थ है - मोक्ष तक पहुंचने के लिए सम्यग दर्शन, सम्यग ज्ञान और सम्यग चारित्र को समझना है किन्तु इन सबसे पहले इनकी पृष्ठभूमि में छिपे हुए कषाय को समझना है, सम्यग दर्शन नहीं हो सकता । सम्यग दर्शन नहीं है तो सम्यग ज्ञान नहीं हो सकता । सम्यग ज्ञान नहीं है तो सम्यग दर्शन नहीं हो सकता । सम्यग दर्शन नहीं है तो सम्यग ज्ञान नहीं हो सकता । सम्यग ज्ञान नहीं है तो सम्यग चारित्र नहीं हो सकता। मोक्ष की साधना के लिए इस समग्र क्रम को जानना आवश्यक है । यदि यह क्रम समझ में आ जाता है तो मोक्ष की साधना का, अध्ययन और सम्यग दर्शन का गुर हमारे हाथ में आ जाता है। इसके द्वारा हम अपने मार्ग को बहुत प्रशस्त कर सकते हैं, सचाइयों को देखने और समझने का मार्ग निर्बाध बन सकता है।
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