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उपयोगितावाद
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और अचेतन का मिश्रण है। चेतन और अचेतन दोनों का साथ में एक योग बना हुआ है। जिस दिन व्यक्ति में एक चेतना जागती है और उसे यह अनुभव होता है-हमारा व्यक्तित्व मिलावटी है, उसे शुद्ध बनाना है। जब शुद्ध व्यक्तित्व की खोज में व्यक्ति प्रस्थान करता है, तब उसकी शैली बदल जाती है। अस्तित्व की अभिव्यक्ति है व्यक्तित्व
शुद्ध चेतना की खोज, शुद्ध पदार्थ की खोज बहुत कठिन है। बाजारों में पट्ट पर लिखा होता है-'शुद्ध देशी घी की मिठाइयां' और बिकती है वनस्पति घी की मिठाइयां या खराब चीजों से बनी मिठाइयां। पहले यह निर्णय करना ही कठिन हो जाता है-शुद्ध घी की मिठाई है कहां? प्रश्न होता है-शुद्ध व्यक्तित्व है कहां? जब इसका पता लगाते हैं तब व्यक्ति दो भागों में बंट जाता है-अशुद्ध व्यक्तित्व और शुद्ध व्यक्तित्व ।
व्यक्तित्व अस्तित्व की अभिव्यक्ति है। इस दृष्टि से उसके तीन विभाग हो जाते हैं-अस्तित्व, अशुद्ध व्यक्तित्व और शुद्ध व्यक्तित्व। बंधा हुआ व्यक्तित्व अशुद्ध व्यक्तित्व है। बंधन-मुक्त व्यक्तित्व विशुद्ध व्यक्तित्व है और एक व्यक्ति का अपना अस्तित्व है। अस्तित्व की ओर जाने में सबसे बड़ी बाधा है मिलावटी व्यक्तित्व। जहां भी मिलावट आएगी, गड़बड़ी पैदा हो जाएगी। दूसरे को धोखा देना है तो सबसे पहले झूठ का सहारा लेना होता है, मिथ्या दृष्टिकोण का निर्माण होता है।
एक बच्चा डिब्बों पर लेबल चिपका रहा था। जो नमक का डिब्बा था, उस पर उसने चीनी का और जो चीनी का डिब्बा था, उस पर नमक का लेबल चिपका दिया। मां ने पूछा-'तुमने चीनी पर नमक का और नमक पर चीनी का लेबल क्यों लगाया?' लड़के ने जवाब दिया- 'मां! चीटियों को धोखा देने के लिए।'
दूसरों को धोखा देने के लिए झूठ का, मिथ्या दृष्टिकोण का सहारा लेना होता है।
__ जीव और अजीव, चेतन और अचेतन का योग हुआ। उसने सबसे पहले मिथ्या दृष्टिकोण का निर्माण किया। मिथ्या दृष्टिकोण के बिना मिलावट चल नहीं सकती। यह योग तभी कायम रह सकता है जब मिथ्या दृष्टिकोण बना रहे। तब तक आत्मा अपने आपको अचेतन मानता रहेगा, जब तक यह मिश्रण चलता रहेगा। जिस दिन चेतन स्वयं को चेतन मानना शुरू कर देगा, उस दिन यह मिश्रण, मिलावट समाप्त होनी शुरू हो जाएगी। अविरति और आकांक्षा
बन्धन, दुःख और समस्या का सबसे पहला कारण है-मिथ्या दृष्टिकोण । मिथ्या दृष्टिकोण दृष्टि को विपरीत बना देता है। जब तक मिथ्या दृष्टिकोण नहीं बदलेगा, तब तक दुःख, समस्या और बन्धन में व्यक्ति जकड़ा रहेगा। दुःख और बन्धन-मुक्ति का पहला उपाय है-सम्यक् दृष्टिकोण का निर्माण।
__ जब व्यक्ति में मिथ्यात्व की चेतना जागती है, उसके मन में आकांक्षाएं उभर जाती है। दष्टिकोण गलत बना और आकांक्षा शुरू हो जाएगी। जो इच्छा Jain Education International For Private & Personal Use Only
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