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महावीर का पुनर्जन्म
लकड़ियां लाता, रसोई बनाता, बर्तन मांजता । जज खुश था । उसने कहा - 'अरे! तुम पारिश्रमिक क्या लोगे?' लिंकन बोला- 'कुछ नहीं । केवल आप अपनी कानूनी पुस्तकें मुझे पढ़ने के लिए देते रहें ।'
इस प्रकार उसने कानून का ज्ञान किया । वह महान् विधिवेत्ता बन गया । गंभीर ज्ञान के लिए श्रम और गंभीर अध्ययन करना होता है । छिछले ज्ञान से परंपरा का निर्वाह नहीं हो सकता। गंभीर ज्ञान से ही ज्ञान की परंपरा अविच्छिन्न रह सकती है।
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प्राचीन मुनि चार प्रहर ध्यान या स्वाध्याय करते थे। आज इतना तो हो कि प्रत्येक मुनि चार घंटे ध्यान - स्वाध्याय में बिताए । ध्यान और स्वाध्याय के अभाव में हमने श्रुतराशि को गंवाया है। हम अतीत से प्रेरणा लें । अतीत हमारे लिए प्रेरणा बन सकता है, पर कर्त्तव्य वर्तमान में प्राप्त होता है ।
उत्तराध्ययन का 'सामाचारी अध्ययन' मुनि की दिनचर्या का दर्पण है । ऐसा ही आज एक दर्पण हो, जो योगक्षेम वर्ष की स्मृति को चिरजीवी बना दे । जैसे दो हजार वर्ष पूर्व लिखा गया उत्तराध्ययन का यह छब्बीसवां अध्ययन हमारे लिए प्रेरक है, वैसे ही योगक्षेम वर्ष में लिखा गया एक अध्ययन दो हजार वर्ष बाद तक प्रेरक बने और उस समय के साधु-साध्वियों को यह लगे कि दो हजार वर्ष पूर्व योगक्षेम वर्ष में विद्यमान मुनियों की दिनचर्या यह थी ।
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