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शरीर एक नौका है
हमारा शरीर एक महाग्रन्थ है। इस पर न जाने कितनी व्याख्याएं लिखी गई किन्तु अभी तक भी उसके सारे रहस्य अनावृत नहीं हुए हैं। इसके बारे में जितना कहा गया उतना ही उलझन भरा कहा गया। इसमें इतने रहस्य हैं कि वे सुलझाए ही नहीं जा सके। दुनिया में कोई सबसे गूढ़ और जटिल पहेली बनेगी तो वह हमारा शरीर है। जो स्थूल शरीर है वह हमें दिखाई नहीं देता। एक शरीरशास्त्री भी उसके अन्तस्थल को नहीं जानता, उसमें छिपे रहस्यों को नहीं जानता। जो प्राण-शरीर है, उसको कोई डाक्टर नहीं जानता किन्तु कोई योगी उसके रहस्यों को पकड़ने में सक्षम बन जाता है। उस प्राण-शरीर के भीतर कुछ
और है, जिसे योगी भी नहीं जानता। हमारे सूक्ष्म शरीर और तैजस शरीर के रहस्य भी अनगिन हैं। उसके भीतर है सूक्ष्मतर शरीर-कर्म-शरीर। वह रहस्यों का पिटारा है। उसे समझना बहुत जटिल बात है। विशिष्ट अतीन्द्रियज्ञानी भी उसे पूरा समझ नहीं पाता। उससे भी गहरे में जाएं तो चैतन्य और आत्मा का स्तर आता है। वहां तक पहुंचना कितना मुश्किल है?
प्रश्न होता है-आत्मा कहां है? वह कोई आकाश में लटक रहा है या आकाश से टपक रहा है? क्या हमने कभी सोचा है इस विषय में? हम आत्मा की बहुत चर्चा करते हैं पर वह है कहां? हिन्दुस्तान में है या अमेरिका में? भारतवर्ष में है या जंबूद्वीप में? वह आत्मा कहीं बाहर नहीं है, इस शरीर में ही है। इसके भीतर आत्मा भी है, परमात्मा भी है। जब आत्मा शरीर के भीतर है तब हम आत्मा को क्या मानें? वह पवित्र पावन मंदिर ही होगा, जहां आत्मा निवास करती है, चैतन्य निवास करता है। यह शरीर को देखने का एक कोण है। वस्तु को देखने के अनेक कोण होते हैं, एक घटना की व्याख्या के अनेक कोण होते हैं। जितने लोग, जितनी दृष्टियां, उतने ही कोण हो जाते हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो आदमी को ठीक समझ लिया जाता। एक घटना के संदर्भ में एक आदमी स्नेह की दृष्टि से देखता है, दूसरा घृणा की दृष्टि से देखता है, तीसरा यथार्थ की दृष्टि से देखता है। यदि पचास आदमी हैं तो पचास कोण बन जाएंगे। यदि व्यक्ति यह चाहे-दूसरा व्यक्ति मुझे अच्छा माने तो उसकी यह चाह कभी पूरी नहीं होगी। जिस व्यक्ति ने अपने लिए दूसरों को तराजू या मानदण्ड लिया गया, वह सुख एवं शांति का जीवन नहीं जी पाएगा। दृष्टिकोण की विभिन्नता का परिणाम है-बहुत गलत आदमी को अच्छा समझ लिया जाता है
और बहुत अच्छे आदमी को गलत समझ लिया जाता है। अपना-अपना चिन्तन होता है। हम किसे महत्त्व दें।
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