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महावीर का पुनर्जन्म
विद्वान कोषाध्यक्ष के पास पहुंचा। कोषाध्यक्ष ने सोचा-यह क्या बला है? राजा प्रतिदिन खुले हाथ बांट रहा है। खजाना कितने दिन चलेगा? उसने विद्वान को लाख मुद्राएं देने से इन्कार कर दिया।
विद्वान ने कहा-'यह राजा का आदेश है।'
‘राजा का आदेश! एक लाख मुद्राएं! तुम इस योग्य ही नहीं हो।' कोषाध्यक्ष उस ब्राह्मण को भटकाना चाहता था, टालना चाहता था। विद्वान उदास हो गया। वह पुनः राजा के पास पहुंचा। राजा ने पूछा-'पण्डितजी! कैसे आए?'
पंडितजी ने निराशा भरे शब्दों में कहा-'राजन्! आपको क्या कहूं? आप बड़े महान् हैं, आप ऐसे मेघ हैं, जो धाराप्रवाह बरस रहे हैं। इसके बरसने पर सारे वृक्ष हरे-भरे हो जाते हैं किन्तु आप जानते हैं-इस दुनिया में कोई आक भी होता है। उसके पत्ते ‘पाले' में पीले पड़ने लग जाते हैं और एक दिन नष्ट हो जाते हैं।'
राजा विद्वान की व्यथा समझ गया। उसने अधिकारी को लिखित आदेश दिया-'इस विद्वान को दो लाख मुद्राएं तत्काल दी जाएं। कोषाध्यक्ष के पास अब कोई विकल्प नहीं रहा। उसे दो लाख मुद्राएं देनी पड़ी।'
_ व्यक्ति भटकाता है पर जो भटकाव को जानता है, वह मार्ग निकाल लेता है। भटकाने वाला सफल नहीं हो पाता।
गौतम ने कहा- 'मैं सन्मार्ग और कुमार्ग-दोनों को जानता हूं। उस मार्ग को भी जानता हूं, जो लक्ष्य से भटकाता है और उस मार्ग को भी जानता हूं, जो लक्ष्य तक पहुंचता है।'
केशी कुमारश्रमण बोले-'वह कौन-सा मार्ग है, जिस पर चलते हुए आप भटक नहीं रहे हैं?'
गौतम ने उत्तर दिया- 'जो 'जिन' द्वारा आख्यात है, वह सन्मार्ग है। मैं उस पर चल रहा हूं इसलिए भटकाव का प्रश्न ही नहीं है।'
यह एक महत्त्वपूर्ण सूत्र है-जो व्यक्ति जिन है, सर्वज्ञ है, वीतराग है, उसके द्वारा बताया मार्ग सन्मार्ग है। प्रामाण्य : पहली शर्त
प्रामाण्य की पहली शर्त है-वीतरागता। जो वीतराग नहीं है, उसके द्वारा प्ररूपित मार्ग सही नहीं हो सकता। जिसमें राग और द्वेष नहीं है, पक्षपात नहीं है, वही सही मार्ग बता सकता है। अवीतराग व्यक्ति में बहुत झुकाव और पक्षपात होता है। वह कभी इधर झुक जाता है और कभी उधर झुक जाता है। वीतराग तटस्थ होता है। उसका मार्ग पक्षपात रहित होता है।
महावीर ने अनेकान्त का महत्त्वपूर्ण दर्शन दिया। अनेकान्त का सबसे बड़ा लक्षण है अनाग्रह। आग्रह और अभिनिवेश का न होना, प्रत्येक बात को सापेक्षदृष्टि से देखना और समझौता करना, देश-काल को समझना-यह अपक्षपात होने का लक्षण है।
मुल्ला नसरुद्दीन बाजार से सब्जी लेकर आया। पत्नी से बोला-'आज तो छन्ना खाने का मन हो रहा है।' Jain Education International For Private & Personal Use Only
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