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शासन - भेद की समस्या
हमारी आंख उसे देखती है, जो सामने है । पीठ पीछे क्या होता है, यह उसे दिखाई नहीं देता। जहां बहुत ज्यादा दूरी हो, दीवारें हो, प्रलंब काल का अंतराल हो, वहां सही अर्थ को पकड़ना बहुत मुश्किल होता है पर कितना ही कठिन क्यों न हो, मनुष्य हार नहीं मानता। उसने ऐसे साधन स्रोतों का विकास किया है, जिनसे वह परोक्ष को भी साक्षात करने का प्रयत्न करता है। भगवान पार्श्वनाथ का शासन सुदूर अतीत से जुड़ा है। भगवान महावीर को ढ़ाई हजार वर्ष से अधिक समय बीत गया है । पार्श्वनाथ और महावीर के मध्य दो शताब्दियों का अन्तराल है । उसे समझने के लिए एक साधन है इतिहास । इतिहास के आधार पर हम कुछ बातों को पकड़ सकते हैं ।
नई दृष्टि का विकास
पश्चिमी लोगों ने एक नई दृष्टि का विकास किया। वह दृष्टि पहले यहां विकसित नहीं थी इसलिए जहां भी भेद आया, उसे विरोध मान लिया गया। वस्तुतः भेद का मतलब विरोध नहीं है । दो सौ वर्ष पहले आचार्य भिक्षु ने जो बातें कही, वे आज बदल गई हैं लेकिन इसका अर्थ विरोध नहीं है । यह एक स्वाभाविक तत्त्व है । काल प्रवाह का स्वभाव है । सौ वर्ष बाद इतना परिवर्तन हो सकता है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस स्थिति में दो हजार वर्ष बाद कितना कुछ बदल जाता है। हो सकता है - सब कुछ बदल जाए। बदलाव स्वभाव है। समस्या यह हुई, हमने कालक्रम के अनुसार अध्ययन नहीं किया इसलिए प्रत्येक बात में प्रस्तुत भेद को विरोध मान लिया। यदि कालक्रम के साथ अध्ययन किया जाता तो भेद में विरोध की प्रतीति नहीं होती। कालक्रम के साथ विचारों के विकास का अध्ययन करने से, आचार के विकास का अध्ययन करने से भेद को नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर मिलता है और दो हजार वर्ष पूर्व जो विचार और आचार था, वह दो हजार वर्ष बाद कहां तक पहुंच गया है, वह आज किस रूप में अवस्थित है— इसकी सही समझ प्राप्त हो जाती है ।
कालक्रम से अध्ययन की दृष्टि विकसित होनी चाहिए। जहां इस दृष्टि का विकास है, वहां भेद होगा, किन्तु विरोध का कारण नहीं बनेगा। एक बात पहले थी, बाद में दूसरी बात सामने आ गई, उसमें विरोध दिखाई नहीं देगा । भगवान पार्श्व ने चार और भगवान महावीर ने पांच महाव्रतों का प्रतिपादन किया । यह विकास का क्रम है, सापेक्ष सत्य है । विचार का विकास सदा सापेक्ष होता है। किस समय क्या अपेक्षा है? इस आधार पर बहुत सारे निर्णय लिए जाते हैं । अपेक्षा के आधार पर नियमों का सृजन और विलयन होता है। पुराने
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