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महावीर का पुनर्जन्म
समाज और विधि-विधान या अनुशासन दो नहीं हैं। जहां समाज है वहां अनुशासन है। जहां संघ है वहां अनुशासन है। संघ और अनुशासन को कभी पृथक् नहीं किया जा सकता। समाज और अनुशासन को कभी अलग नहीं देखा जा सकता। तात्पर्य की भाषा में दोनों को पर्यायवाची माना जा सकता है। समाज का अर्थ है अनुशासन और अनुशासन का अर्थ है समाज। विधान के अनेक प्रकार
पश्चिमी दार्शनिक सन्त थामस एक्वायना ने कानून को अनेक भागों में बांटा है-१. प्राकृतिक कानून (Natural Law) २. मानवीय कानून (Human Law) ३. धार्मिक कानून (Divine Law)
कुध विधान प्राकृतिक होते हैं, शाश्वत होते हैं। एक परमाणु आज एक गुना काला है किन्तु एक निचित समय के बाद उसे बदलना ही पड़ेगा। वह अमुक समय तक ही उस रूप में रह सकता है। उसके बाद उसे सौ गुना काला होना होगा, हजार गुना या अनन्त गुना काला होना होगा। यह प्राकृतिक या सार्वभौमिक नियम है। एक परमाणु आज अमुक आकार-प्रदेश में है। अमुक समय के बाद उसे वह स्थान छोड़ना ही पड़ेगा। प्राकृतिक नियम यह नहीं हो सकता-जो बन गया, सो बन गया। कुछ वर्ष पूर्व एक मुख्यमंत्री ने कहा था-हम मुख्यमंत्री बन गए, हमे हटाने वाला कोई नहीं है। किन्तु हमने देखा-उन्हें भी हटा दिया गया। दंड और अनुशासन
प्रकृति के नियम शाश्वत हैं। वे सब पर लागू होते हैं। समाज के नियम मानवीय नियम हैं। वे बनाए जाते हैं और बदले जाते हैं। डिवाइन लॉ धार्मिक नियम हैं, आध्यात्मिक नियम हैं। एक सामाजिक प्राणी पर दंड का प्रयोग होगा. अनुशासन का प्रयोग होगा तो वह क्रोध में भी आएगा, प्रतिरोध भी करेगा, विरोध भी करेगा और प्रतिशोध की भावना भी प्रस्तुत करेगा, क्योंकि वह सामाजिक प्राणी है। एक मुनि, जो आध्यात्मिक जीवन जी रहा है, उसके लिए यह विधान होता है-वह अनुशासन होने पर भी क्रोध न करे। सामाजिक क्षेत्र में दंड का विधान है और आध्यात्मिक क्षेत्र में अनुशासन का मूल्य है। दंड के क्षेत्र में क्रोध करना, प्रतिरोध करना वर्जित नहीं माना जाता किन्तु अनुशासन में ये बातें नहीं चल सकतीं। दंड में छलना चल सकती है किन्तु अनुशासन में छलना नहीं होती।
थानेदार के पास एक सिपाही की शिकायत आई। शिकायत में कहा गया-सिपाही ने चोर को देखने पर भी पकड़ा नहीं। थानेदार ने सिपाही से पूछा-'जब तुमने चोर को देख लिया तो पकड़ा क्यों नहीं?'
सिपाही बोला-'सर! आप ठीक कहते है। किन्तु मैं क्या करूं? मेरी भी मुसीबत आप सुनिए।'
'तुम्हारी क्या मुसीबत थी?'
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