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पूजा करें बहुश्रुत की
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बहुत अध्ययन का विषय नहीं बनता । व्यक्ति अलग-अलग प्रकार के होते हैं, उनकी अलग-अलग प्रकार की रुचियां होती हैं, उनको पढ़ना जटिल भी होता है और समाज के लिए बहुत उपयोगी भी नहीं होता । सौ व्यक्तियों ने एक साथ जीवन जिया, हजार व्यक्तियों ने एक साथ जीवन जिया, दस हजार व्यक्तियों ने एक साथ जीवन जिया और कैसे जीवन जिया, यह अध्ययन पूरे समाज के लिए एक आदर्श बनता है ।
अन्धकार : निशीथ
बहुश्रुत वह होता है, जो निशीथ को जानता है । निशीथ को जानने का मतलब है जीवन की पद्धति को जानना । निशीथ में जीवन के वे रहस्य, जीवन की वे मनोवृत्तियां बतलाई गई हैं, जिन्हें जानने वाला बहुश्रुत हो जाता है। सूत्र का नाम ही निशीथ - अन्धकार है । वह सूत्र प्रकाश नहीं है । अन्धकार को पकड़ लेना बहुत बड़ी बात है । प्रकाश में हर वस्तु साफ दिखाई देती है । अन्धकार का मतलब है- अविवेक, जहां कोई भेदरेखा नहीं होती, सब समान होते हैं । अंधकार में पूरा साम्यवाद, सोलह आना साम्यवाद होता है । प्रकाश के साम्राज्य में कभी सोलह आना साम्यवाद नहीं होता है। उस अन्धकार को पकड़ना, समझना सूक्ष्म प्रज्ञा का विषय है। जिसकी प्रज्ञा बहुत जागृत और बहुत सूक्ष्म होती है वह अन्धकार को जान लेता है। जीवन के सारे रहस्य अन्धकार से भरे पड़े है। किस मनुष्य में न जाने कब कौन-सी वृत्ति जाग जाती है, कब कौनसा व्यवहार प्रकट हो जाता है । जीवन के रहस्य अनगिनत हैं । एक जीवन को जानना भी कभी संभव नहीं बनता। इस स्थिति में अन्धकार को जानने वाला, निशीथ को जानने वाला सचमुच बहुश्रुत होता है ।
समतल भूमि पर काम करना बहुत कठिन नहीं है । उन खदानों में काम करना बहुत कठिन होता है जिनमें हजारों-हजारों फुट नीचे अन्धकार में जाना होता है। उनमें काम करने के लिए बहुत तैयारी चाहिए। उनमें काम करने वाले मजदूरों के ऑक्सीजन की थैलियां लगी रहती हैं, प्रकाश भी उनके साथ चलता रहता है । वे मजदूर उस सघन अन्धकार को चीरते हुए वहां पहुंचते हैं जहां सोना है, रत्न है, बहुत सारे मूल्यवान् खनिज हैं। वे अनेक कठिनाइयों को पार कर गहराई तक पहुंच पाते हैं। आज ऐसे यंत्र बने हैं, जो अन्धकार में नीचे जाते हैं और बता देते हैं कि अमुक स्थान पर पेट्रोल है, अमुक स्थान पर गैस है, अमुक स्थान पर अमुक खनिज है । यंत्र सारी सूचना दे देते है । कठिन है व्यवहार को जानना
अन्धकार में जीवन के रहस्य छिपे हैं, उन्हें निकाल कर बाहर रख देना सचमुच बहुश्रुत का काम है । जीवन की मर्यादाएं, जीवन के कल्प और व्यवहार को जानने वाला भी बहुश्रुत होता है । बहुत कठिन है मर्यादाओं को जानना और उससे भी ज्यादा कठिन है—व्यवहार को जानना । कौन आदमी कब कैसा व्यवहार करता है और किस प्रेरणा से अभिप्रेरित होकर व्यवहार करता है। इस को समझने के लिए आज हजारों लोग काम कर रहे हैं और इस विषय की गहराई में जाकर खोज कर रहे हैं। खोज रहे हैं-व्यवहार के पीछे कारण क्या है?
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