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________________ १३६ महावीर का पुनर्जन्म आत्मा है या नहीं? यह प्रश्न समाप्त हो जाता है। धर्म है या नहीं? स्वर्ग और नरक है या नहीं? पुनर्जन्म है या नहीं? ये प्रश्न स्वतः समाहित हो जाते हैं। अच्छे कर्म का फल अच्छा होता है और बुरे कर्म का बुरा फल होता है, इस सचाई में उसका विश्वास हो जाता है। सारे संशय इस एक प्रयोग से समाप्त हो जाते हैं। परामनोविज्ञान आज जातिस्मरण की प्रक्रिया को विकसित करने की जरूरत है। विज्ञान की एक नई शाखा विकसित हो रही है-परामनोविज्ञान। विज्ञान की एक शाखा बनी-मनोविज्ञान । मनोविज्ञान को भी विज्ञान के रूप में मान्यता सहजता से नहीं मिली। साम्यवादी परम्परा में ईश्वर, आत्मा, स्वर्ग, नरक, कर्म, पुण्य और पाप-सबको अस्वीकार किया गया। जब सोवियत रूस में पेरासाइकोलोजी के प्रयोग हुए और उसके निष्कर्ष सामने आए तो सारा रूस हिल उठा। इन प्रयोगों को बंद करने का स्वर उभरा। कहा गया-इन प्रयोगों को बन्द नहीं किया गया तो मार्क्सवाद लड़खड़ा जायेगा। अगर पुनर्जन्म सिद्ध हो गया तो अनर्थ हो जाएगा। आज पेरासाइकोलोजी का सिद्धांत प्रतिष्ठित हो गया, मान्य हो गया। उसके लड़खड़ाने की बात समाप्त हो गई। आज पुनर्जन्म पर, जाति-स्मरण पर बहुत अनुसन्धान चल रहे है। टैलीपेथी के द्वारा, अतीन्द्रिय चेतना के द्वारा बहुत बड़े-बड़े कार्य होने लग गये हैं। यदि अध्यात्म के लोग इस दिशा में नहीं साचेंगे तो पिछड़ जाएंगे। अगला विश्वयुद्ध हुआ तो? पेंटागन, जो अमरीका का रक्षा-संस्थान है, उसमें परामनोविज्ञान का उपयोग किया जा रहा है। ऐसे-ऐसे पेरासाइकोलाजिस्ट हैं, जो समाधि में चले जाते हैं। वे समाधि की अवस्था में रूस के आधुनिक शस्त्रास्त्रों की गुप्ततम फाइलों का पता-ठिकाना बना देते हैं। उन फाइलों में क्या-क्या जानकारी संदृब्ध है, इसका अक्षरशः ब्यौरा लिखवा देते हैं। परामनोविज्ञान के विकास पर अरबों डालर खर्च किए जा रहे हैं। यह माना जा रहा है-यदि अगला विश्व युद्ध हुआ तो वह शस्त्रों से नहीं, परमानसिक शक्तियों से लड़ा जाएगा। यह विशुद्ध आध्यात्मिक प्रक्रिया संहारक बनती चली जा रही है। यदि धर्म के लोगों ने जाति-स्मरण की प्रक्रिया के विकास की ओर ध्यान नहीं दिया तो वह दिन दूर नहीं है जिस दिन इस क्षेत्र में विज्ञान आगे बढ़ जाएगा और धर्म पीछे रह जाएगा। जाति-स्मरण को प्रायोगिक स्तर पर जीने वाला धर्म मुंह ताकता रह जाएगा। विज्ञान के जरिए यह महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया विस्तार पाएगी, धर्म की प्रासंगिकता पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा। प्रसंग मेघकुमार का अध्यात्म की तेजस्विता के लिए जरूरी है-हम उन प्रयोगों को पुनरुज्जीवित करने का प्रयत्न करे, जो महावीर कराते थे। मेघकुमार मुनि बना और एक ही रात में विचलित हो गया। वह साधुत्व को छोड़कर घर जाने के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003109
Book TitleMahavira ka Punarjanma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages554
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size11 MB
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