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________________ पुस्तक में MM. Monm Mmmam M. १. अनुशासन के सूत्र २. संबंधों के आलोक में गुरु और शिष्य ३. तितिक्षा की कसौटियां ४. दुर्लभ संयोग ५. स्वतंत्रता की सीमा ६. सबकी गति : मेरी गति ७. दुःख का मूल : अज्ञान ८. इन्द्रिय-संयम का प्रश्न ६. नैतिकता का आधार : नानात्व का बोध १०. क्यों नहीं हो रहा है योगक्षेम की ओर प्रस्थान? ११. रूपान्तरण का प्रतिनिधि ऋषि १२. दो मिल्यां दुःख होय १३. जो रास्ते में घर बनाता है १४. जहां निरपराध को दंड मिलता है १५. आत्मना युद्धस्व' १६. गृहस्थ जीवन का आकर्षण क्यों? १७. इच्छा हु आगाससमा अणंतिया १८. समय का अंकन हो १६. आज तीर्थंकर नहीं है २०. तीर पर पहुंच कर क्यों रुके हो? २१. जैन शिक्षा प्रणाली २२. पूजा करें बहुश्रुत की २३. जातिवाद तात्त्विक नहीं है २४. कर्मणा जाति २५. यज्ञ, तीर्थस्थान आदि का आध्यात्मिकीकरण २६. दो भाइयों का मिलन २७. जब सत्य को झुठलाया जाता है २८. मुक्ति की प्रेरणा २६. दो परम्पराओं के बीच सीधा संवाद ३०. समस्या का मूल : परिग्रह ३१. साधुत्व की कसौटी ३२. ब्रह्मचर्य के साधक-बाधक तत्त्व ३३. जहा साधुता सिसकती है ३४. अभओ पत्थिवा ! तुब्भं १०६ ११४ १२१ १२७ १३२ १५१ १५६ १६३ १७१ १८१ १८६ १६२ १६६ २०५ २०६ २१५ २२१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003109
Book TitleMahavira ka Punarjanma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages554
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size11 MB
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